सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

देशद्रोही कौन?

देशभक्ति की हवा चली है,
सब की तरह में भी भावनाओं में,
बह गया हूँ,
लगता है जो नहीं सहना था सह गया हूँ,
देशभक्ति अब सड़कछाप गुंडागर्दी बनी है,
कमजोर की आवाज़ उठाने वालों से
ज़म कर तनी है
सच हज़म कर सकते हैं तो सुनिए,
आप हम सब देशद्रोही हैं,
तरह तरह के आकार प्रकार में आते हैं,
1- देशभक्त देशद्रोही- ये हैं सबसे घातक देशद्रोही,
इनके मुँह पे हमेशा भारत माँ का नारा है,
ये भृष्ट हैं, गुंडे हैं, नेता, पत्रकार, खाकीधारी,
भगवाप्रहरी, खुद आरोपी, खुद प्रहरी और कचेहरी!
2 - मूत्रमयी आज़ाद देशद्रोही - इनकी प्राथमिकता हर समय,
हर जगह आज़ादी,
ये अपने मूत्र को गंगा समझते हैं,
और पुरे देश को रोज पवित्र करने का बीड़ा इनके हाथ है,
उसी हाथ से ये बाकी काम भी करते हैं,
ये अधिकतर मर्द होते हैं!
3- पूंजीवादी देशद्रोही - व्याख्या की जरुरत नहीं
4- टीवी देशद्रोही - ये सबसे ताजे देशद्रोही हैं, ताकतवर हैं,
ये भगवान का बाज़ारी रूप हैं,
24 घंटे आपके रिमोट के अंदर रहते हैं
ये पंडे हैं, आग और घी दोनों का मिश्रण इनको जीवन देता है!
5- मध्यमवर्गी देशद्रोही - ये गुस्सा में हैं,
क्योंकि कोई और अमीर है,
उसकी कार का बम्पर बॉडी कलर का है,
और चूँकि वो इनके सर बैठा है,
इनका गुस्सा गरीब है,
घर का चाकर, गली का हॉकर,
सब्जीवाली बाई, सड़क बैठा नाई
ये अधर में लटके हैं,
टीवी देशद्रोहियों के द्वार से
निकले भूले भटके हैं!
इनकी अक्सर जात होती है,
और मज़हब भी,
इंसान होने का वक्त नहीं!
6-कचरा कहीं भी फेंकने वाले देशद्रोही
7- लड़कियों को छेड़ने वाले देशद्रोही
8- बलात्कारी देशद्रोही
9- पुलिस देशद्रोही
10- सेना में करप्ट देशद्रोही
11- बाल मज़दूरी करवाने वाले देशद्रोही
12- ब्राह्मणी देशद्रोही  “दलित आदवासिओं” को गाली देते हैं, मारते और जलाते हैं
13 -पुजारी देशद्रोही - ये मंदिरों और हवन के पास नज़र आते हैं, मूलरूप से पूड़ी खीर खाते हैं, और दक्षिणा मांगते है पाते नहीं
गाड़ी का पॉल्युशन टेस्ट न कराने वाले देशद्रोही,
रिश्वत देकर ट्रेन में बर्थ हथियाने वाले देशद्रोही
हर बात पर पाकिस्तान भेजने वाले देशद्रोही
स्कुल से ज्यादा ट्यूशन पर ध्यान वाले शिक्षक देशद्रोही
कोयला देशद्रोही, 3G देशद्रोही, व्यापम देशद्रोही
ललित के समर्थक देशद्रोही, झूठी डिग्री वाले मंत्री देशद्रोही,
नक्सली देशद्रोही,
उन पर झूठे केस डालने वाली सरकार देशदोही,
ठंड में सिकुड़ाने वाली हवा देशद्रोही,
दवा देशद्रोही, दारु देशद्रोही,
पति के सेवा न करती जोरू देशद्रोही,
मैं देशद्रोही, आप देशद्रोही,
निर्मोही आटे दाल का भाव देशद्रोही,
भूख देशद्रोही, प्यास देशद्रोही,
फुटपाथ पर मजबूर देशद्रोही,
आत्महत्या करता किसान देशद्रोही,
अम्बानी का मकान देशद्रोही,
अडानी का ज़हाज़ देशद्रोही,
गंगा का कचरा देशद्रोही,
कारगिल की बर्फ देशद्रोही
आसा का राम देशद्रोही,
नाथू का राम देशद्रोही,
84 का दंगा, बाबरी पर हमला,
आडवाणी का रथ, राजीव का पेड़,
2002 का दंगा,
इंसानियत का नाच नंगा,
संसद में हल्ला,
विकास झूठा जुमला
सब सब देशद्रोही
अब बताएं कहाँ जाएँ,
अपना ही तो देश है,
यहाँ नहीं तो क्या पाकिस्तान जाकर देशद्रोह करेंगे,
हमसे न होगा भैया!
अरे, काम की बात तो भूल गया,
आज ज़रा अपना गरेबाँ देख लेना!




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!

गाज़ा की आवाज़!

 Translation of poem by Ni'ma Hasan from Rafah, Gaza, Palestine (https://www.facebook.com/share/r/17PE9dxxZ6/ ) जब तुम मुझे मेरे डर का पूछते हो, मैं बात करतीं हूं उस कॉफी वाले के मौत की,  मेरी स्कर्ट की जो एक टेंट की छत बन गई! मेरी बिल्ली की, जो तबाह शहर में छूट गई और अब उसकी "म्याऊं" मेरे सर में गूंजती है! मुझे चाहिए एक बड़ा बादल जो बरस न पाए, और एक हवाईजहाज जो टॉफी बरसाए, और रंगीली दीवारें  जहां पर मैं एक बच्चे का चित्र बना सकूं, हाथ फैलाए हंसे-खिलखिलाए ये मेरे टेंट के सपने हैं, और मैं प्यार करती हूं तुमसे, और मुझमें है हिम्मत, इतनी, उन इमारतों पर चढ़ने की जो अब नहीं रहीं,, और अपने सपनों में तुम्हारी आगोश आने की, मैं ये कबूल सकती हूं, अब मैं बेहतर हूं, फिर पूछिए मुझसे मेरे सपनों की बात फिर पूछिए मुझसे मेरे डर की बात! –नी‘मा हसन, रफ़ा, गाज़ा से विस्थापित  नीचे लिखी रचना का अनुवाद When you ask me about my fear I talk about the death of the coffee vendor, And my skirt  That became the roof of a tent I talk about my cat That was left in the gutted city and now meo...