जो आंखें देखती हैं, वही आंखें दिखती हैं! बात किस की है? ये सवाल किसका है? ये हाल किसका है? यूँ मलाल किसका है? जो देख रहा है, उसे देखते हैं! सच, अलग अलग देखते हैं! एक ही बात कहाँ है, इतना बड़ा जहां हैं? आप कहाँ पहुंचे, और वो रास्ता कहाँ है? मुसाफ़िर कई हों, रास्ते पर, पर सफ़र एक नहीं, असर? अंजाम? नज़र देखती है, नज़रिये से, ये ही ज़रिया है, आपका क्या? कहाँ पहुँचे हैं? पहुँचना कहाँ हैं? किस बात से तय? ओ तय बात क्या है? हूँऊं, ओह, क्या, वाह, अच्छा, शायद, याने, हज़ार ख़याल मन में, क्या जानें, कौन मानें?
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।