किनारे,
क्या इस पार,
क्या उस पार,
ज़िंदगी,
साथ,
रोज़
कोशिश
बदलाव,
कम
और
जरूरत
अनगिनत
कमी
अकेले
कमज़ोर
क्या
कितना
कब
सपने
पूरे
अधूरे
टूटे
उस पार
थढ़,
सर
अलग
धढ़
दर्द
चीख़
अपने
सपने
टूटे
क्या
कहां
जाने दो
ट्रेन
आने दो
ज़िंदगी
क्या इस पार,
क्या उस पार,
ज़िंदगी,
साथ,
रोज़
कोशिश
बदलाव,
कम
और
जरूरत
अनगिनत
कमी
अकेले
कमज़ोर
क्या
कितना
कब
सपने
पूरे
अधूरे
टूटे
उस पार
थढ़,
सर
अलग
धढ़
दर्द
चीख़
अपने
सपने
टूटे
क्या
कहां
जाने दो
ट्रेन
आने दो
ज़िंदगी
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