कहाँ जाइए?
पैरों ज़मीन है, सर आसमान,
छत आसरा है, चारदीवारी सहारा,
फिर शिकायत क्या, डर क्यों,
हर लम्हा बदल रहा है,
क्योंकि हवा बह रही है,
रगों में
खून चल रहा है,
मायने हैं ज़िन्दगी के
कहीं न कहीं, कुछ न कुछ
बदल रहा है!
रुकना, ठहरना, स्थिरता
किस लिए?
के आप समझ पाएं...जाएं
चलना ही नियत है,
नीयती
अच्छा हो आप बनाएं
यही नीयत भी!
किस लिए?
के आप समझ पाएं...जाएं
चलना ही नियत है,
नीयती
अच्छा हो आप बनाएं
यही नीयत भी!
दुनिया चल रही है,
एक एक पल,
आप रुक कर,
कहाँ जाईए?
एक एक पल,
आप रुक कर,
कहाँ जाईए?
चलिए बताइए?
कहाँ जाईए?
कहाँ जाईए?
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