आज दिन भर कितने रास्तों से बात की,
नज़रों ने कितनी खामोश मुलाक़ात कीं,
नज़ारे दिल खोल कर बतियाते रहे,
हम भी उनकी बातों में आते रहे
नज़रों ने कितनी खामोश मुलाक़ात कीं,
नज़ारे दिल खोल कर बतियाते रहे,
हम भी उनकी बातों में आते रहे
पैर कर रहे थे शिक़ायत कई बार,
हवा अक्सर हल्के से छू कर गुनगुनाती रही,
कभी जोश में आई ओ खिलखिलाती रही।
तमाम रंग पहचान हैं ज़मीन आसमान की,
लड़ाई नहीं है कोई भी अपनी शान की,
पानी बह रहा है, सारी बात साफ किए,
छुपा नहीं कुछ, क्या नीयत आप की है?
हवा पानी जमीन आसमान,
सब सहज, सब आसान!
कोई स्पर्धा है क्या?
इंसान ओ निसर्ग?
कौन बड़ा, कौन महान?
तमाम रंग पहचान हैं ज़मीन आसमान की,
लड़ाई नहीं है कोई भी अपनी शान की,
पानी बह रहा है, सारी बात साफ किए,
छुपा नहीं कुछ, क्या नीयत आप की है?
हवा पानी जमीन आसमान,
सब सहज, सब आसान!
कोई स्पर्धा है क्या?
इंसान ओ निसर्ग?
कौन बड़ा, कौन महान?
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