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बात खत्म! अब सब ठीक है!!



मंदिर वहीं बनेगा!
बात खत्म,
अब सब ठीक हो जायेगा।
टूटी मस्जिद में राम नाम कब्ज़ा जमाएगा
गुम्बज़ चढों को मोक्ष,
भाषण बाजों को भारतरत्न,
ईंट उठाने वालों को स्वर्ग,
और चुप बैठे रामभज हैप्पी गो लकी
चैन की नींद सोएंगे
आज भी!!
संविधान (नदारद) मुबारक हो!!


तलाक तलाक तलाक
बात खत्म,
अब सब ठीक हो जायेगा।
जैसे कि पुरा का पूरा
मज़हब गंगा नहाएगा
शोर ऐसा है
जैसे कि आज़ादी आई है?
औरतों की,
बुर्के वाली,
जिनके जांघों के बीच
आपने इज्ज़त लुटाई थी,
कल भी, आज भी और कल भी,
मज़बूरी!!
दंगों में करना होता है,
बस अब गंगा सफ़ाई है,
कानून तोड़!
बड़ी हिम्मत आई है
बोलो मर्द नली की जय
बोलो बोलो बज_ _  _ ली
हो भय!

ब्लैकमनी, आतंकवाद का खात्मा!
बात खत्म,
अब सब ठीक हो गया
जमीर अमीर हो गया
पैसा नीर
अकल ठिकाने,
चाहे गद्दे नीचे रही
या चावल कनस्तर
सच मजबूर, सामने आ गया,
उसको लाइन लगा मार डाला!
मजबूरी गुनाह साबित हुई,
कौन थे जिनके घर दावत हुई?
और दिन अच्छे?
पुलवामा, खून पसीने की कमाई थी?
अडानी, अंबानी
दिन रात एक एक कमाई थी?
बात खत्म,
अब सब ठीक हो गया,
सब सुखी हैं,
तरक्क़ी चहमुंही है!
अगर अब भी गरीब लाचार हैं,
गुस्से या निराशा के शिकार हैं,
या चीख़ रहे हैं, '...अधिकार हैं"
तो आप बेकार हैं!
देश के गुनहगार,
भला अच्छे दिनों में भी
खुश (चुप) नहीं रह सकते?
आपका कुछ नहीं हो सकता,
राम भजिए!
या पकौड़े?

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हाथ पर हाथ!!

मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

पूजा अर्चना प्रार्थना!

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हमदिली की कश्मकश!

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