चलो मस्ज़िद गिराते हैं, चलो मंदिर बनाते हैं,
यूँ ईंट से ईंट बजा कर नया देश बनाते हैं!
अल्लाह की शामत आई अब राम विराजी है,
भारत का वक्त गया, हिंदुस्तान की बारी है!
दाढ़ी टोपी को रौंद दिया, साथ कोइका सर गया,
तिलक त्रिशूल का मौसम है दिल ख़ुशी तर गया!
बहुत हुआ ये शोर, दिन की पांच अज़ानों का,
अब चौबीसों घँटे बस राम नाम ही जारी है!
हरियाली के दिन लद गए, भगवा इसपर भारी है,
दूर नहीं वो दिन, जल्दी अब, तिरंगे की बारी है!
संविधान के सत्तर दोष, सेक्युलरी में सब मदहोश,
मनुस्मृति की तगड़ी सोच ताल ठोंक अब भारी है!
बहुत हुई बराबरी, क्यों इसकी ललकारी है?
शांति लाने के लिए अब ऊंच-नीच तैयारी है!
झूठ हमारे सच होंगे, सब धर्मकर्म के वश होंगे,
नया ज्ञान, नया इतिहास, ये अपनी होशियारी है!
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