मैं टुकड़े टुकड़े हूं,
मैं भारत हूं,
किसी की आदत,
कोई बगावत,
किसी की शिकायत,
किसी की नज़ाकत
किसी को जमीन हूं,
किसी की जानशीन,
किसी को मोहब्बत हूं,
किसी की हुज्जत हूं,
दिन रात, देर-सबेर,
मैं एक नहीं हूं,
कभी था ही नहीं!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।
मैं टुकड़े टुकड़े हूं,
मैं भारत हूं,
किसी की आदत,
कोई बगावत,
किसी की शिकायत,
किसी की नज़ाकत
किसी को जमीन हूं,
किसी की जानशीन,
किसी को मोहब्बत हूं,
किसी की हुज्जत हूं,
दिन रात, देर-सबेर,
मैं एक नहीं हूं,
कभी था ही नहीं!
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