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आज महिला दिन है

आज महिला दिन है
और मालिक(पूंजीवादी) गिनतियाँ गिना रहे हैं,
कहीं कहीं तो मुफ्त मे उनको दारू भी पिला रहे हैं,
आप आ पहुंचे हो, दूनिया तैयार है,
थोड़े पैसे खर्च कीजिये आज आपका त्यौहार है,  
आज आप आसमान पर हैं,
चाँद पर आपके पाँव हैं,
(कवियों के हिसाब से आप अपने चहरे पर चल रहे हैं)
इटली में आपके गांव हैं,
विश्व और ब्रम्हाडं सुंदरियां साल दर साल बढती जा रही हैं,
बहुत से देशों मे तो उनकी हर साल फसल आ रही हैं
और आज तो संसद में भी,
महिला बिल पास होने वाला है(मार्च २०१०)
(आखिर देश की वाट लगाने की जिम्मेदारी सिर्फ मर्द क्यों लें)
और आज ही पहली महिला निर्देशक ने एक ऑस्कर जीता है 
और मुझे यकीं हैं किसी छोटी बच्ची,
ने कहीं एक झोपडी में आज a,b,c,d सीखा है
महारानी अब भी एलिजाबेथ हैं,
पर ‘fair and lovely’ फिर भी सफ़ेद है

शुक्र है मैंने गणित किया है कभी जिया नहीं,
मैं उलटी गिनता हूँ और शुरू शुन्य से
आज औरत दिन है?
मैं देखता हूँ तो अनगिनत जगह
अब भी सिर्फ (dust) बिन है
पिछले १५ दिनों में मैंने एक १४ साल की माँ देखी है,
और सुनते है कल किसी ने नौ साल की, लड़की की,

मुंबई की छत पर लाश फैंकी है
बलात्कार, अब भी एक हथियार है
दंगे अब भी नंगे होते हैं,
(और हमारे तत्कालीन Chief Justice कहते हैं, 
करने दीजिए उससे शादी अगर शिकार को स्वीकार है)
दुनिया में जो लायी नहीं गयीं, उनकी क्या बात करें
उनकी सोचिये जिन्हें नहीं खबर,
कि आज वो कहाँ अपनी रात करें
दूर क्यों जाते हैं मुड़ कर देख लीजिए
माँ अब भी पापा का शिकार है प्यार नहीं,
बहन आज भी, छोटे को गोदी में लिए,
आपको स्कूल जाता देख रही हैं
और इस यथार्थ सत्य पर के,
‘बड़ी होकर तुझे यही करना है’
हम सबकी रोटी सेंक रही है
और बीवी अब काम पर जाती है,
मुबारक हो,
एक और SALARY अब घर पर आती है,
आप जरा टीवी देखिये वह रोटी बनाती है
 
जाहिर है हम सब आगे चल रहे हैं
देखते है दुनिया को बदल रहे हैं (मर्ज़ी मालिक की)
पर क्या आगे चलना काफी है,
मुड कर देखिये बहुत कुछ बाकी है,
आपकी मुस्कान अब भी दुकानों में बिकती है,
मर्दों की रोटियां अब भी औरत के शरीर पर सिकती है
गिनती लंबी है, सफर न खत्म होने वाला, 
आज बस एक छोटा सा ब्रेक हैं,
आप अपनी ड्रिंक खत्म करिये,
मैं जरा सच्चाई परोसता हूँ,
हाँ, और मैंने सुना है
करेला कड़वा होता है, पर कैंसर दूर रखने के लिए कारगर





(मुस्कराते हुए, होटल में बैठे, एक कॉफी और एक ग्लास छाछ की चुस्कियां लेते, स्वाति के इंतज़ार मे जो SNDT Women’s University मे अपने Students से गुफ्तगू कर रही है.
अपने साथी और इस यकीं को समर्पित के दुनिया बदलनी है तो महिला दिन नहीं महिला युग की जरुरत है)

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