Translation of poem by Ni'ma Hasan from Rafah, Gaza, Palestine (https://www.facebook.com/share/r/17PE9dxxZ6/ ) जब तुम मुझे मेरे डर का पूछते हो, मैं बात करतीं हूं उस कॉफी वाले के मौत की, मेरी स्कर्ट की जो एक टेंट की छत बन गई! मेरी बिल्ली की, जो तबाह शहर में छूट गई और अब उसकी "म्याऊं" मेरे सर में गूंजती है! मुझे चाहिए एक बड़ा बादल जो बरस न पाए, और एक हवाईजहाज जो टॉफी बरसाए, और रंगीली दीवारें जहां पर मैं एक बच्चे का चित्र बना सकूं, हाथ फैलाए हंसे-खिलखिलाए ये मेरे टेंट के सपने हैं, और मैं प्यार करती हूं तुमसे, और मुझमें है हिम्मत, इतनी, उन इमारतों पर चढ़ने की जो अब नहीं रहीं,, और अपने सपनों में तुम्हारी आगोश आने की, मैं ये कबूल सकती हूं, अब मैं बेहतर हूं, फिर पूछिए मुझसे मेरे सपनों की बात फिर पूछिए मुझसे मेरे डर की बात! –नी‘मा हसन, रफ़ा, गाज़ा से विस्थापित नीचे लिखी रचना का अनुवाद When you ask me about my fear I talk about the death of the coffee vendor, And my skirt That became the roof of a tent I talk about my cat That was left in the gutted city and now meo...
बहुत ही सुन्दर व लाजवाब अभिव्यक्ति लगी ।
जवाब देंहटाएंBahut Khub.
जवाब देंहटाएंhttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
Word verification bhi hata dijiye, comment karana sabke liye easy ho jaaega.
Shubhkaamnaae
wow..! the hindi is a bit oo much for me though !!!
जवाब देंहटाएंemotions aptly captured... facility with hindi is humbling. i wish i could write like this in ANY language. brilliantly done...
जवाब देंहटाएंgreat.... worth reading.........
जवाब देंहटाएंइन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
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