बिक गए एक इश्तेहार बनकर,
सर आये जो सरकार बनकर,
उनकी शराफत के बड़े चर्चे हैं ,
जो सरपरस्त है गुनेहगार बनकर
बिक गया ईमान बाज़ार बनकर!
भरोसा(रिलायंस) करो दिन अच्छे की बात,
अंधेर नगरी के चौपट राजा बनकर!
धंद्या हर गन्दा है सियासत बनकर!
जमहूरियत चल रही रियासत बनकर!
मन की बात और विरोध को लात,
सच्चाइयाँ तंग हैं हालात बनकर! !सच के पहलू ज़रा जांच-परख लें -
http://timesofindia.indiatimes.com/business/india-business/Reliance-Jio-got-530-million-undue-benefit-CAG/articleshow/47213222.cms?from=mdr
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