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दिसंबर, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

छंद समंदर

साहिल किनारे, समंदर के धारे, सुबह के नज़ारे, रोशन ज़हाँ रे! उम्मीदों के इरादों को कैसे इशारे, यकीनों को सारे नज़ारे सहारे! लहरों के रेतों पर बहते विचारे, लकीरी फकीरों के छूटे सहारे! हर लहर को मिले अलग किनारे, दूजे को देख क्यों हम आप बेचारे ? दूर यूँ उफ़क से समन्दर मिलारे, सपनों को अपने कुछ ऐसे पुकारें! किनारों को समेटे समंदर ज़हाँ रे, किनारों को लगे वो उनके सहारे 

फार्मूला-ए-देशप्रेम!

देश भक्त होना कितना आसान है, घर बैठे बैठे करने का ये काम है, सरकार ने नए फॉर्मूले बनाए हैं, माँ कसम, इतने सरल उपाय हैं! फॉर्मूला नम्बर 1 "ख़ामोशी सोना है" बोल कर क्या होना है? चुप रहिए, "शांत रहो", अपने ज़मीर को कहिए, सरकार, जनता की, जनता के लिए, गलत कुछ कर नहीं सकती, आपको यूँही शक है, और शक का कोई इलाज नहीं, इस फॉर्मूले को प्रधानमंत्री का सपोर्ट है, अगर आप नहीं करते तो आपके मन में खोट है, आप देश द्रोही हैं, और आपको डंडा मिलेगा, सख्ती से आपको सच मिलेगा! फार्मूला नंबर 2 लाईन में खड़े हो, जितनी लंबी लाईन, जितनी देर, आप खड़े खड़े समय बिताएंगे, आप अपने आप देशभक्त गिने जाएंगे, पैसा तो वैसे भी हाथों का मैल है, आज नहीं तो कल, ...कल....कल हाथ आ जायेगा! अब ख़ाली ज़ेब वाला भी, देशभक्त कहलायेगा! (चेतावनी "मेरा नम्बर कब आएगा" ये पूछना पाप है, ) लाइन में खड़े रहने, आपके लिए एक जाप है, इसमें राम बाबा की छाप है, पतन को अंजलि दीजिए, कहिए, 'अच्छे दिन आएंगे' ....साँस अंदर .....साँस बाहर फार्मूला नम्बर 3 लकी रंग अपनाएं, भगवा या

सुबह बोली!

आज सुबह फिर बोलती मिली, पूछ रही थी हाल, कर के आसमान, गुलाबी लाल, क्या कमाल, सुबह एक खोई करवट, उसका क्या मलाल, और फिर एक चिड़िया, बनकर, रात, चहचहाती मिली, अंधरों में धुली, खिली, खुली, सबको सुलाते, सहलाते, सपनों में, झुलाते, थकी नहीं, रात, सुबह के साथ, खेलने को तैयार, दोनों के बीच कितना प्यार, दुलार! और आप हम क्यों परेशां हैं?

हाल समंदर

सुबह एक सच, एक ख्याल, एक सवाल, एक पहल, एक झलक, कोई मलाल, एक उफ़क, एक शफक, एक मिसाल, एक चलन, कोई मिलन, ये है हाल! दोपहर एक सच, कुछ अलसाया, कुछ झुलसाया, वक़्त कुछ रुका सा, कुछ चुका सा, गुजरे हवा सा, खामोश साथ, साथ हाथ, उँगलियों से बात, गुज़री ख़ुशी, उम्मीदी हंसी, मन में बसी! शाम एक सच, एक उमंग, कुछ पसंद, एक प्यास, एक अंदाज़, अंदर एक आवाज़, हंसी शिकायत, मासूम शरारत, झूठी बगावत, सफ़र ज़ारी, रास्ते सवारी, कैसी तैयारी? रात एक सच, एक पड़ाव, एक साहिल, तज़ुर्बे उस्ताद, राय ज़ज्बात, अपनी बात, इंतज़ार, कुछ शुरू, कुछ ख़त्म, तय हालात, चंचल सवालात, सुकूँ है?

जिंदगी समंदर

सुबह समंदर की, कुछ बाहर से कुछ अंदर की, शांत किसी बवंडर की, सब कुछ है, और कितना कुछ नहीं, ये सच भी है, और है भी सही, कोई है और है भी नहीं, सामने है वो साथ है क्या, माक़ूल ज़ज्बात हैं क्या, खोये की सोचें, या पाए को सींचें, लम्हा हसीं है, पर कैसे एक उम्र खींचें, हाँ है अभी, उतना अपना, जितना आप छोड़ दें, हाथ बड़ाएं तो क्या तय है, वो पल मुँह मोड़ दे, जो है बस वही, आगे कुछ नहीं, ज़िन्दगी समंदर है, लम्हे सारे बंदर, पकड़ने गए तो हम क्या रहे!?

सच सुबह!

सब खुश हैं, अपनी अपनी जगह पर अपनी अपनी जगह से, फ़िलहाल, इस पल में और फिर सब बदल जायेगा और फिर भी सब खुश हैं, अपनी अपनी जगह पर अपनी अपनी जगह से सूरज बादल आसमान जमीं सारा निसर्ग, सब साथ हैं, अपनी अपनी जगह भी, और उस के साथ बदलते न अटके हैं , न भटके हैं न कोई चिन्ता है, न कोई इंसिक्युरिटी, न खींच-तान, न अपनी जगह का दबदबा, पानी पानी, हवा हवा सब चल रहा है, सब बदल रहा है, बदलने की कोशिश नहीं, क्योंकि बदलना ही ज़िन्दगी है, कोशिश तब जब डर हो, अगर मगर हो, खम्बों में घर हो, और ये गुमाँ कि कुछ मेरा है, "मैं" मालिक, कितनी इंसानों जैसी बात है, आप ही कहिए, इंसान होना कौन बड़ी बात है!??

रोशन समंदर!

तमाम अँधेरे, तिनका तिनका रोशन कोने, उम्मीदों को तकिया, इरादों को बिछोने, बस यही है सब कुछ, और जो बाकी है वो आज़ाद मर्ज़ी, फ्री विल, कोशिश और कशिश, हमसफ़र बनते हैं, कभी कोशिश रास्ता, कभी कशिश साहिल, बेबसी ज़ाहिल, सब नज़र है, कहाँ, किसको क्या, असर है, ज़द्दोज़हद जिगर है, और ज़िरह भी, हालात से, खारिज़, आप जी सकते हैं, शर्तों पर, अपनी, जी भर के!

पल पल समंदर

कहाँ से उठी ओ कहाँ जाएगी, ये सुबह, फैलती सिमटती ये जगह, मिलती बिछड़ती कोई वजह भाग रही है, या जाग रही है, नज़र, समा रही है या समेटे हुए, रेत, मिटती है या लिपटती है, लहर, अकेले है या साथ के जश्न की, पहचान, तमाम है, और हर पल तमाम भी, सच यकीं भी है ये और गुमाँ भी, ज़िन्दगी, है? इस पल, और कल?

समय समंदर!

साथ समंदर साथ साथ एकांत साथ दुनिया सारी, जमीं समंदर आसमाँ सूरज साथ सब पर नहीं कोई किसी पर सवार, एक दूसरे को सब, साथ, फिर भी अकेले पहचान से मुक्त, साथ, कभी लहर समंदर, कभी समंदर लहर, कभी चट्टान, मजबूत सीना तान, अगले पल भाव-विहोर समंदर में लीन विहीन, उजागर भीगे, डूबे, निहित, खामोश, खिलखिलाते, सच, हाथ आते, फिसलते, अपनी शर्तों पर मिलते, ओ पिघलते सब यहीं हैं, आकाश और अवकाश आपके हाथ आने को तैयार, गर आप रुकें, बस उतनी देर, की समय समंदर हो, क्या आप को फुर्सत है?

चलता समंदर!

चलना है, चलते रहना है, रास्ता ज़िन्दगी और ज़िन्दगी रास्ता, रुकना क्या है? एक लंबी सांस, हाथ फिसलती आस, सफ़र की प्यास, मोड़ की तलाश, कोई लम्हा ख़ास, कोई पल उदास, एक लंबी सांस, उठिये, चलिये, चलना है, चलते रहना है, पहुंचना क्या है? मंज़िल, मक़ाम, ख़त्म मुश्किल या काम तमाम, मुग़ालता, गुमान, झूठी शान, मीठा पान, हसीं शाम, लंबी सांस लीजिए, कल फिर नए मायने, नए अंजाम, चलना है, चलते रहना है, ज़िन्दगी लहर है, सुबह भी है ओ शामो सहर है, न ख़त्म होने की चीज़, न रुकने की, आप चले या रुकें, थकें, ज़िन्दगी जियें या घूँट घूँट पियें, ज़िन्दगी आप को ज़ी रही है, चलना है? रुकना अपने आप को छलना है!