साथ समंदर साथ
साथ एकांत साथ
दुनिया सारी,
जमीं समंदर आसमाँ
सूरज
साथ सब
पर नहीं कोई
किसी पर सवार,
एक दूसरे को सब,
साथ, फिर भी अकेले
पहचान से मुक्त,
साथ,
कभी लहर समंदर,
कभी समंदर लहर,
कभी चट्टान,
मजबूत सीना तान,
अगले पल
भाव-विहोर
समंदर में लीन
विहीन,
उजागर
भीगे, डूबे, निहित,
खामोश, खिलखिलाते,
सच,
हाथ आते, फिसलते,
अपनी शर्तों पर मिलते,
ओ पिघलते
सब यहीं हैं,
आकाश और अवकाश
आपके हाथ आने को तैयार,
गर आप रुकें,
बस उतनी देर,
की समय समंदर हो,
क्या आप को फुर्सत है?
साथ एकांत साथ
दुनिया सारी,
जमीं समंदर आसमाँ
सूरज
साथ सब
पर नहीं कोई
किसी पर सवार,
एक दूसरे को सब,
साथ, फिर भी अकेले
पहचान से मुक्त,
साथ,
कभी लहर समंदर,
कभी समंदर लहर,
कभी चट्टान,
मजबूत सीना तान,
अगले पल
भाव-विहोर
समंदर में लीन
विहीन,
उजागर
भीगे, डूबे, निहित,
खामोश, खिलखिलाते,
सच,
हाथ आते, फिसलते,
अपनी शर्तों पर मिलते,
ओ पिघलते
सब यहीं हैं,
आकाश और अवकाश
आपके हाथ आने को तैयार,
गर आप रुकें,
बस उतनी देर,
की समय समंदर हो,
क्या आप को फुर्सत है?
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