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बेटी - बचाओ बचाओ!


वो सब राम के बंदे थे, मजबूर थे
की नीयत के नंगे थे!
परंपराओं के पक्के थे,
कुछ अधेड़ थे कुछ उम्र के कच्चे थे,
पर इरादों के अपने पक्के थे,


दिल थोड़ा नाज़्ज़ुक था,
बच्ची पर आ गया,
पर फिर भी इरादों से नहीं डगमगाए,
बच्ची को मुश्किल न हो,
इसलिए दवा भी दिलाए,
मारने के बाद भी उसके कपड़े धुलाए,
और इस सब में भी पूजा पाठ,
भक्ति की पराकाष्ठा कहिए,
संतो की वाणी है,
अच्छे-बुरे में एक समान,
देवस्थान!
जय श्री राम!


नहीं पड़ेगा जो हनुमान चालीसा,
उसका होगा
काम तमाम!
भारत माता की जय,
वंदे मातरम,
डर किसका है!

(इस्तेमाल किए गए व्यंग चित्र भगवान का अपमान नहीं करते, न ही ऐसी मेरी कोई मंशा है, वो इस बात की तरफ़ इशारा करते हैं कि भगवान के नाम का कैसा गलत इस्तेमाल हो रहा है)

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हाथ पर हाथ!!

मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

पूजा अर्चना प्रार्थना!

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हमदिली की कश्मकश!

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