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उमर राव देशजान!?


दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिए,
ख़बरदार जो मुझ से मेरा हिंदुस्तान लीजिए!

देशद्रोही हैं जो करते हैं एनआरसी की बात,
क्यों गरीब जान को हलकान कीजिए?

कागज़ की बात करते निकम्मे हैं हुक्मरान
आता है काम तो नौकरी तमाम कीजिए!!

बढ़ रही हैं नफरतें और जा रहीं हैं जान,
कैसे रिश्तों को अपने इंसान कीजिए?



कितने मतलबी हो करते हो नौकरी की बात,
करते हैं खुदकशी खुद को भी किसान कीजिए!!

कहने से कोई नहीं हो जाता देश का
कागज़ भी कोइसा कैसे मान लीजिए!!


दीवार-ओ-दर को गौर से पहचान लीजिए,
देश में क्या औकात गरीब की जान लीजिए!

#wall build to conceal slum from Trump  
बिगुल के सामने  बजाना है..शहनाई,
अपना ढिंढोरा पीटने का बस काम कीजिए!

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साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!

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