सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मेरा प्यार बेशु_मार!


प्यार इतना
हद से ज्यादा 
की हाथ उठ गया,
वो रोई, मैं रोया
मसला मिट गया!





प्यार इतना
हद से ज्यादा
उसको मुस्कराते देख
किसी और को
हाथ उठ गया
मैंने फिर खुद को भी मारा
मैं ही बेचारा!



प्यार इतना
हद से ज्यादा
वो मेरी है हमेशा रहेगी, 
मेरी बात नहीं मानी तो 
हाथ उठ गया
मेरा प्यार मैं लाचार
अब नहीं दोबारा!





प्यार इतना
हद से ज्यादा
दिन-रात, चार पहर
प्यार के लिए तुम थक गईं?
मुझको नहीं गंवारा, इसलिए
हाथ उठ गया,
मेरा व्यवहार मेरा प्यार,
हर बार लगातार!





प्यार इतना
हद से ज्यादा
तुम ही मेरी सब कुछ
मैं भी तुम्हारा दाता,
हमारी पसंद एक है,
तुमने सवाल पूछ डाला? फिर
हाथ उठ गया,
मेरी मर्ज़ी, मेरा प्यार,
और कुछ भी ख़बरदार!





प्यार इतना
हद से ज्यादा
मेरा सब कुछ तुम्हारा
खुशी, दुख, डर, गुस्सा
इसमें भी तुम्हारा हिस्सा
था गुस्सा उस से, किसी पर, सो
हाथ उठ गया
मेरा गुस्सा, मेरा प्यार
करो स्वीकार!



प्यार इतना
हद से ज्यादा
थप्पड, घुंसा,
बेल्ट, ड़ंडा, सुलगती आग, 
उस पल जो आए हाथ
नहीं तो फिर दो लात,
प्यार मेरा, मेरी हिंसा
मेरा मलहम मेरी चिंता
प्यार में ये सब कौन है गिनता 

रहो लाचार!

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!

जिंदगी ज़हर!

जिंदगी ज़हर है इसलिए रोज़ पीते हैं, नकाबिल दर्द कोई, (ये)कैसा असर होता है? मौत के काबिल नहीं इसलिए जीते हैं, कौन कमबख्त जीने के लिए जीता है! चलों मुस्कुराएं, गले मिलें, मिले जुलें, यूं जिंदा रहने का तमाशा हमें आता है! नफ़रत से मोहब्बत का दौर चला है, पूजा का तौर "हे राम" हुआ जाता है! हमसे नहीं होती वक्त की मुलाज़िमी, सुबह शाम कहां हमको यकीं होता है? चलती-फिरती लाशें हैं चारों तरफ़, सांस चलने से झूठा गुमान होता है! नेक इरादों का बाज़ार बन गई दुनिया, इसी पैग़ाम का सब इश्तहार होता है! हवा ज़हर हुई है पानी हुआ जाता है, डेवलपमेंट का ये मानी हुआ जा ता है।