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एक अरसे बाद!



फिर एक सफ़र मिले,

सरफिरे निकल पड़े,

देखें

ऊंट किस करवट पड़े!

कुछ पुराने, कुछ नए,

नाक मुंह परदे लिए,

अलग सच या

सच से अलग,

देखें क्या रास्ते मिले!



एयरपोर्ट लाउंज,

हवाई सफर,

महामारी

क्या फ़र्क क्या असर,

भीड़ कम है, पर शायद

रीढ़ भी!



दो के बीच की दूरी,

जरूरी...मजबूरी?

कुछ ऐसे बंट गए हैं,

छुटे हुए और, छट गए हैं!


सच्चाई वर्चुअल हो गयी,

रोटी कपड़ा मकान,

और जरूरी स्मार्ट फोन,

जिनके पैर जमीन नहीं,

उनको आसमान भी नहीं?



बच्चों की पढ़ाई,

जैसे कोई जंग, लड़ाई,

कैसी ये तरक्की आई,

गहरी और हाशिए की खाई!


(18 महीने बाद पहली बार एक लंबे सफर को निकलने पर कुछ ख़्याल)

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साफ बात!

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