सच में अब ताकत नहीं है,
ताकत में ही सब सच है!
बोल रही खामोशी है,
चीख़ रही बेहोशी है,
जो चुप है वो आवाज़ है, ओ
कुछ भी जो अलग अंदाज़ है!
भीड़ जो है कानून बन गयी,
पुलिस मेजबान बन गयी
आम जगह बनी शमशान,
धार्मिक लोकतंत्र की शान!
अल्हा को अब राम बचाए?
वेद पुराणों के दिन आए?
अखंड भारत, महाभारत,
मुर्दे की छाती पर कूदती,
वानर सेना की महारथ!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें