नदियां अगर साहिल को तलाशें तो क्या कभी बह पायेंगी और समंदर बन पायेंगी? स्थिरता, ठहराव ये सब बस मरुस्थल की परिभाषा है जो प्यासा रहना भूल गया पृथ्वी के एक टुकड़े का अर्थहीन सन्यास सब से अलग रहना यानि खुद को भ्रम में रखना सब में रहकर जो अलग हो तो कुछ बात बने लालसाओं से दूर जाना अलग लालसाओं को ठुकराना अलग नदी से सीखो, उसे अगर किनारे पर पहुँचने का लालच आ जाये तो तालाब बन जाये, संमदर कभी नहीं रुको नहीं, नदी की चाल पहचानो बहो नहीं_ _ _ बहना सीखो स्थिरता! रुकने में नहीं, ठहरने में नहीं बहाव के रुख को पहचानने में है स्वयं एक धारा बनने में है इस विचार को उस विचार से मिलने दो धाराओं के मेल को नदी बनने दो रुको नहीं बहो आज बनती है नदी, तो कल संमदर बनने दो !
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।