बांध
लो तो मैं हुं, छोड़
दो तो मेरी उंचाईंयां ,
किसने
समझी जहां में उंसीयत की
गहराईयां।
रोक लो
तो मंजिल, साथ दो
तो रास्ता,
जिंदगी
के सफ़र की हैं बड़ी दुश्वारियां,
चल रहे तो सफ़र है, रुके गये मकाम कोई,
हाथ में बस हाथ है, क्यों और सामान कोई?
चल रहे तो सफ़र है, रुके गये मकाम कोई,
हाथ में बस हाथ है, क्यों और सामान कोई?
धुप जलने
को नहीं, न छांव
बुझने को,
पनपने देती नहीं हमें रिश्तॊं की परछाईंयां।
पनपने देती नहीं हमें रिश्तॊं की परछाईंयां।
आज़ तुम खफ़ा हो कल हमारी बारी है,
मेरी
खता नहीं, कहते
हैं वो, मेरी भी
नहीं,
ले डूबेगी
उंसीयत को अंह की बीमारियां।
जमीं-जमीं
रहे और हो आसमां बुलंद।
उंसीयत
एसी जो करे दो जहां बुलंद।।
ठहर जाये
किसी वज़ह किसी मोड़ पर
ये रिश्तॊं की पहचान नहीं।
न उड़े पंछी तो आसमान नहीं,
ये रिश्तॊं की पहचान नहीं।
न उड़े पंछी तो आसमान नहीं,
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