मत कहो हमसे, कुछ कहने को,
आज बस हमको चुप रहने दो...
आज बस हमको चुप रहने दो...
कुछ शिकवे हमारे जो
कुछ उनकी शिकायतें वो,
ये हसींन मुश्किलें क्यों सुलझाएं,
जो हैं जज़्बात रहने दो!
आज बस हमको चुप रहने दो...
सच अपने सपने हैं जो,
सपने जो उनके सच हैं! वो
ये फ़र्क किस किस को समझाएं?
कुछ तो बिन-बात रहने दो
इतने नज़दीक हैं जो,
दूरी उतनी हो क्यों,
पास से फासलें यूँ नज़र आएं,
आपस की बात है रहने दो!
दूरी उतनी हो क्यों,
पास से फासलें यूँ नज़र आएं,
आपस की बात है रहने दो!
आज बस हमको चुप रहने दो!!
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