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और आप बडे?



बस इतने ही हम हैं!



और आप?

कहते हो ज़रा गहरा जाओ?


गहराई डुबोती है,
सतह सुरक्षित होती है,
तारीख गवाह है,
लाखों भूखे बेपनाह हैं, 

तीर मार लिया, 
आपने - पुर्वजों?
दिन पे दिन खत्म होती जमीं 
कितनी नस्लें, 



ये ही तरक्की है, 

जिसका एहसान जताते हैं?
फ़ुटपाथ पर भीख मांगते बच्चे क्या बताते हैं?









टिप्पणियाँ

  1. Kahan kahan ghumte ho dost or chahte kya ho shayad kisi ko pata nahi fir bhi style khush karti hai chahe pata na ho kya pata karna hai

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    1. जहाँ लोग बुलाते हैं वहां जाते हैं, चींटी हैं जानते हैं, एक दिन फर्क आएगा!

      हटाएं

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हाथ पर हाथ!!

मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

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