पूरी अवाम को गुनाहगार कर दिया,
सत्ता ने ताकत को हथियार कर दिया,
रोज लाखों की छाती पर मूंग दल रही है,
घटिया मज़ाक है,
जो संसद में शायरी चल रही है।
बच्चे भी गुनहगार हैं, दादी भी गुनहगार हैं?
किसी को कोई हक नहीं,
आवाज़ कोई भी जेल की दीवार है?
और बाकी मूल्क जैसे गूंगा है,
जैसे कश्मीर कोई दूजा है,
अपने से जुदा, अलग,
उनसे हमें बस लेना है देना कुछ नहीं,
हर इंसान को इंसान कहने की वज़ह नहीं,
जो अपना नहीं उसका कोई सपना नहीं?
क्या अब भी आपको ये सवाल है?
कश्मीरियों को कश्मीर क्यों चाहिए?
https://m.timesofindia.com/entertainment/hindi/bollywood/news/zaira-wasim-kashmiris-continue-to-exist-and-suffer-in-a-world-where-it-is-so-easy-to-place-restrictions/amp_articleshow/73929642.cms
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