सुबह खो गयी कहीं सुबह होने में
वक्त गुजरा नहीं, फिर क्योँ शाम होने में ?
करवटें अकेली रह गयी कहीं कोने में
उम्र गुजरेगी ये भी, वो एक रात होने में
तमाम मुश्किलें मेरे गुमनाम होने में
वो रास्ते चलूँ ,जो गुजरें मेरे खोने में
दूरियां बढती हैं कितनी नज़दीक होने में
खो रहे हैं कहीं, रिश्ते उम्मीद होने में
आप भी शामिल हैं मेरे होने में
खो गए हैं कहीं मेरे होने में
देर नहीं लगती भटक जाने में,
भुलावे है सफ़र के बिछौनों में!
वक्त गुजरा नहीं, फिर क्योँ शाम होने में ?
करवटें अकेली रह गयी कहीं कोने में
उम्र गुजरेगी ये भी, वो एक रात होने में
तमाम मुश्किलें मेरे गुमनाम होने में
वो रास्ते चलूँ ,जो गुजरें मेरे खोने में
दूरियां बढती हैं कितनी नज़दीक होने में
खो रहे हैं कहीं, रिश्ते उम्मीद होने में
आप भी शामिल हैं मेरे होने में
खो गए हैं कहीं मेरे होने में
देर नहीं लगती भटक जाने में,
भुलावे है सफ़र के बिछौनों में!
थक गए, जो अब सफ़र है होने में
मैं हूँ मसरूफ अपने अधूरे होने में
मोड़ चाहिए रास्ते को सफ़र होने में
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