पंछी के कलरव से
नदिओं की कल-कल से
पत्तों की सर-सर से
दिल मे कोई हलचल है!
नदियां तो सब पाक साफ़ हैं
हैं अब भी?
पवित्र !
पर साफ़ कहाँ....?
चाहे गंगा कह लो या थेम्स
नील, राएं, मिसी सिपी या वोल्गा
इन सब से हमारा क्या सम्बन्ध है?
पेड़ों के बढने से
चिड़ियों के उड़ने से ....
उन सब से जो जीवित भी(तो) हैं
जीवंत भी
क्या वो सब हमारा हिस्सा नहीं ?
या यूँ पूछिए
क्या हम उस सब का हिस्सा नहीं?
तो क्या हम निसर्ग नहीं?.....
(

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