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मोहब्बत के गुनाह!

हमको भी मुहब्बत के गुनाह आते है,
आप कत्ल करिये हम गिनाते है

करते है दो कपड़ों को घड़ी,
दो लम्हों को भूल जाते हैं


तमाम इरादे और चंद वादे,
कमबख्त हालात बदल जाते हैं,

उम्र हो गयी साथ चलते चलते
हम आज भी आगे छूट जाते हैं !




हम को सफ़ाई देने से फ़ुर्सत नहीं
आप सफ़ाई की याद दिलाते है

बड़ा शौक है हमको दुनिया का,
और आप मेरी खरोंचे दिखाते है




खुद की गिनती को भूल जाते है
आपकी आदतों में हम भी आते हैं,


कहने को हज़ार बातें है लिखते
कहे कहो तो साँप सुंघ जाते हैं!


हमको भी मुहब्बत के गुनाह आते है
कैद कीजे फ़िर वही पनाह आते हैं

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