मिलते
हैं,
साथ
चलना है,
उम्मीदों
को भी,
आकांक्षाएं
भी हैं,
और
संगी-साथी
होने की आशायें भी,
नयी
पहचान होगी इस साथ से,
रास्ते
तय होंगे आपस की बात से,
फ़िर
भी मैं,
मैं
और तुम तुम होगे,
कहीं
कहीं दीवारें होंगी
रस्ते
बनायेंगे,
साथ
चलेंगे,
एक-दूसरे
के रस्ते नहीं आयेंगे,
तुम
अपनी कमियों से परिपक्व,
अपने
साथ आने के ये उसूल है,
शुक्रिया
नेक इरादों की दुआ
रिश्ता
कुबूल है!
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