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छंद समंदर

साहिल किनारे, समंदर के धारे, सुबह के नज़ारे, रोशन ज़हाँ रे! उम्मीदों के इरादों को कैसे इशारे, यकीनों को सारे नज़ारे सहारे! लहरों के रेतों पर बहते विचारे, लकीरी फकीरों के छूटे सहारे! हर लहर को मिले अलग किनारे, दूजे को देख क्यों हम आप बेचारे ? दूर यूँ उफ़क से समन्दर मिलारे, सपनों को अपने कुछ ऐसे पुकारें! किनारों को समेटे समंदर ज़हाँ रे, किनारों को लगे वो उनके सहारे 

फार्मूला-ए-देशप्रेम!

देश भक्त होना कितना आसान है, घर बैठे बैठे करने का ये काम है, सरकार ने नए फॉर्मूले बनाए हैं, माँ कसम, इतने सरल उपाय हैं! फॉर्मूला नम्बर 1 "ख़ामोशी सोना है" बोल कर क्या होना है? चुप रहिए, "शांत रहो", अपने ज़मीर को कहिए, सरकार, जनता की, जनता के लिए, गलत कुछ कर नहीं सकती, आपको यूँही शक है, और शक का कोई इलाज नहीं, इस फॉर्मूले को प्रधानमंत्री का सपोर्ट है, अगर आप नहीं करते तो आपके मन में खोट है, आप देश द्रोही हैं, और आपको डंडा मिलेगा, सख्ती से आपको सच मिलेगा! फार्मूला नंबर 2 लाईन में खड़े हो, जितनी लंबी लाईन, जितनी देर, आप खड़े खड़े समय बिताएंगे, आप अपने आप देशभक्त गिने जाएंगे, पैसा तो वैसे भी हाथों का मैल है, आज नहीं तो कल, ...कल....कल हाथ आ जायेगा! अब ख़ाली ज़ेब वाला भी, देशभक्त कहलायेगा! (चेतावनी "मेरा नम्बर कब आएगा" ये पूछना पाप है, ) लाइन में खड़े रहने, आपके लिए एक जाप है, इसमें राम बाबा की छाप है, पतन को अंजलि दीजिए, कहिए, 'अच्छे दिन आएंगे' ....साँस अंदर .....साँस बाहर फार्मूला नम्बर 3 लकी रंग अपनाएं, भगवा या

सुबह बोली!

आज सुबह फिर बोलती मिली, पूछ रही थी हाल, कर के आसमान, गुलाबी लाल, क्या कमाल, सुबह एक खोई करवट, उसका क्या मलाल, और फिर एक चिड़िया, बनकर, रात, चहचहाती मिली, अंधरों में धुली, खिली, खुली, सबको सुलाते, सहलाते, सपनों में, झुलाते, थकी नहीं, रात, सुबह के साथ, खेलने को तैयार, दोनों के बीच कितना प्यार, दुलार! और आप हम क्यों परेशां हैं?

हाल समंदर

सुबह एक सच, एक ख्याल, एक सवाल, एक पहल, एक झलक, कोई मलाल, एक उफ़क, एक शफक, एक मिसाल, एक चलन, कोई मिलन, ये है हाल! दोपहर एक सच, कुछ अलसाया, कुछ झुलसाया, वक़्त कुछ रुका सा, कुछ चुका सा, गुजरे हवा सा, खामोश साथ, साथ हाथ, उँगलियों से बात, गुज़री ख़ुशी, उम्मीदी हंसी, मन में बसी! शाम एक सच, एक उमंग, कुछ पसंद, एक प्यास, एक अंदाज़, अंदर एक आवाज़, हंसी शिकायत, मासूम शरारत, झूठी बगावत, सफ़र ज़ारी, रास्ते सवारी, कैसी तैयारी? रात एक सच, एक पड़ाव, एक साहिल, तज़ुर्बे उस्ताद, राय ज़ज्बात, अपनी बात, इंतज़ार, कुछ शुरू, कुछ ख़त्म, तय हालात, चंचल सवालात, सुकूँ है?

जिंदगी समंदर

सुबह समंदर की, कुछ बाहर से कुछ अंदर की, शांत किसी बवंडर की, सब कुछ है, और कितना कुछ नहीं, ये सच भी है, और है भी सही, कोई है और है भी नहीं, सामने है वो साथ है क्या, माक़ूल ज़ज्बात हैं क्या, खोये की सोचें, या पाए को सींचें, लम्हा हसीं है, पर कैसे एक उम्र खींचें, हाँ है अभी, उतना अपना, जितना आप छोड़ दें, हाथ बड़ाएं तो क्या तय है, वो पल मुँह मोड़ दे, जो है बस वही, आगे कुछ नहीं, ज़िन्दगी समंदर है, लम्हे सारे बंदर, पकड़ने गए तो हम क्या रहे!?

सच सुबह!

सब खुश हैं, अपनी अपनी जगह पर अपनी अपनी जगह से, फ़िलहाल, इस पल में और फिर सब बदल जायेगा और फिर भी सब खुश हैं, अपनी अपनी जगह पर अपनी अपनी जगह से सूरज बादल आसमान जमीं सारा निसर्ग, सब साथ हैं, अपनी अपनी जगह भी, और उस के साथ बदलते न अटके हैं , न भटके हैं न कोई चिन्ता है, न कोई इंसिक्युरिटी, न खींच-तान, न अपनी जगह का दबदबा, पानी पानी, हवा हवा सब चल रहा है, सब बदल रहा है, बदलने की कोशिश नहीं, क्योंकि बदलना ही ज़िन्दगी है, कोशिश तब जब डर हो, अगर मगर हो, खम्बों में घर हो, और ये गुमाँ कि कुछ मेरा है, "मैं" मालिक, कितनी इंसानों जैसी बात है, आप ही कहिए, इंसान होना कौन बड़ी बात है!??

रोशन समंदर!

तमाम अँधेरे, तिनका तिनका रोशन कोने, उम्मीदों को तकिया, इरादों को बिछोने, बस यही है सब कुछ, और जो बाकी है वो आज़ाद मर्ज़ी, फ्री विल, कोशिश और कशिश, हमसफ़र बनते हैं, कभी कोशिश रास्ता, कभी कशिश साहिल, बेबसी ज़ाहिल, सब नज़र है, कहाँ, किसको क्या, असर है, ज़द्दोज़हद जिगर है, और ज़िरह भी, हालात से, खारिज़, आप जी सकते हैं, शर्तों पर, अपनी, जी भर के!

पल पल समंदर

कहाँ से उठी ओ कहाँ जाएगी, ये सुबह, फैलती सिमटती ये जगह, मिलती बिछड़ती कोई वजह भाग रही है, या जाग रही है, नज़र, समा रही है या समेटे हुए, रेत, मिटती है या लिपटती है, लहर, अकेले है या साथ के जश्न की, पहचान, तमाम है, और हर पल तमाम भी, सच यकीं भी है ये और गुमाँ भी, ज़िन्दगी, है? इस पल, और कल?

समय समंदर!

साथ समंदर साथ साथ एकांत साथ दुनिया सारी, जमीं समंदर आसमाँ सूरज साथ सब पर नहीं कोई किसी पर सवार, एक दूसरे को सब, साथ, फिर भी अकेले पहचान से मुक्त, साथ, कभी लहर समंदर, कभी समंदर लहर, कभी चट्टान, मजबूत सीना तान, अगले पल भाव-विहोर समंदर में लीन विहीन, उजागर भीगे, डूबे, निहित, खामोश, खिलखिलाते, सच, हाथ आते, फिसलते, अपनी शर्तों पर मिलते, ओ पिघलते सब यहीं हैं, आकाश और अवकाश आपके हाथ आने को तैयार, गर आप रुकें, बस उतनी देर, की समय समंदर हो, क्या आप को फुर्सत है?

चलता समंदर!

चलना है, चलते रहना है, रास्ता ज़िन्दगी और ज़िन्दगी रास्ता, रुकना क्या है? एक लंबी सांस, हाथ फिसलती आस, सफ़र की प्यास, मोड़ की तलाश, कोई लम्हा ख़ास, कोई पल उदास, एक लंबी सांस, उठिये, चलिये, चलना है, चलते रहना है, पहुंचना क्या है? मंज़िल, मक़ाम, ख़त्म मुश्किल या काम तमाम, मुग़ालता, गुमान, झूठी शान, मीठा पान, हसीं शाम, लंबी सांस लीजिए, कल फिर नए मायने, नए अंजाम, चलना है, चलते रहना है, ज़िन्दगी लहर है, सुबह भी है ओ शामो सहर है, न ख़त्म होने की चीज़, न रुकने की, आप चले या रुकें, थकें, ज़िन्दगी जियें या घूँट घूँट पियें, ज़िन्दगी आप को ज़ी रही है, चलना है? रुकना अपने आप को छलना है!

पानी समंदर!

हर वज़ह पानी है, हर जगह, कितने मानी हैं, रोक रहा है रस्तों को, ओ कहीं सफर की रवानी है, कभी हवा है, कभी मौसम, रंग भी नहीं, कोई, ढंग भी नहीं, शिकायत भी है, ओ जश्न भी, कभी सवाल है, कहीं मलाल है, कहीं हिमालय है, कभी आपका गाल है, किसी का तीर, किसी को ढाल है, कहीं गंगा नाला, हलक सूखा निवाला घाट घाट का, कभी चुल्लू काफी, कभी पानी पानी आपकी हक़ीकत, अपनी ही कहानी, नज़र आ रहा है क्या, और किसकी है निशानी!

मेहमान नवाज़ी!

उनकी दुआ में जिक्र हमारा था, खुदगर्ज़ जुबां से आमीन निकले! सरहदें जिनको ख़ामी नहीं करती, दोस्ती दिल से ओ दुआ आमीन निकले! अपनों की ये क्या शिकायत है, क्यों अज़ीज़ अजनबी निकले! न कोई गिला न शिकायत कोई, बड़े अपने, सब अजनबी निकले! हमसफ़र सब अजनबी थे, बड़े आसां ये सफर निकले! दिल जीत लिए,बड़े, शातिर मेहमाँ निकले! अज़ीज़ सारे इतेफ़ाक़ निकले दिलों के सब साफ़ निकले

गज़ल निस्वां !

इस ज़माने के ये चलन निराले हैं,  मर्द सारे गम के गीत गानेवाले हैं?                                       इकारार की इल्तज़ा और जोर, ता-ज़िन्दगीं साथ निभाने वाले हैं? आदम की दुनिया है, समझे हम, हव्वा है हम दिल बहलाने वाले हैं! जो भी निशान हैं हमारे जिस्म पे, कौन अपनी पहचां बताने वाले हैं? रगों में खून है ओ दिल धड़कन है, कौन सुनता किसको सुनाने वाले हैं? बेटी, बहन, बहू, मां, सब जली हैं, हम कब इनके रास्ते आने वाले हैं? दो चार हाथ ही तो मारे हैं, बाद में चांद-तारे लाने वाले हैं! न जमीं, न ही आसमां अपना है कहां इस दुनिया से जाने वाले हैं? बहुत् शरीफ़ हैं वो कैसे भूलाएं उनके एहसान सब गिनाने वाले हैं, हम फ़क्त अपने सपनों के बांझ है, गुड़्डे-गुड़िया खेल पुराने वाले हैं!   हमारे अफ़सानों का भी दौर हो, दुनिया से मर्द कब जाने वाले हैं? बात उनकी थी अज्ञात ये तो, कौन किसको बताने वाले हैं? (गज़लों के बारे में सोच रहा था, और गाने वालों के बारे में, ज्यादातर मर्द, अपने दर्द की हंसी दास्तां बयान करने वाले। मन में ये सवाल आया कि मर्दों कि दुनिया में मर्दों के दर्द बकते भी हैं और बिकते भी हैं। गणित

अज़नबी हमसफ़र Ajnabi Humsafar

हम भी इन्सान वो भी इन्सान मिले तो सब हमसफ़र निकले हम भी कोई कम शरीफ़ नहीं , वो भी बड़े नेक नज़र निकले! हम गये थे मेहमान बनके खास बड़े मेज़बान निकले! अपनी ही ज़ुबां थी सबकी , अंजान से यूँ पहचान निकले! सोचा था दोस्ती का हाथ दें गले मिले ओ गिले - शिकवे निकले! ज़हन में कई नाप थे अपने सब अपने तराजु तुले निकले! अजनबी हम , अज़नबी शहर में गैर थे सब , जो अपने निकले! हर कोई मुस्करा के मिला, गोया हम इतने हसीं निकले! Hum Bhi Insaan, Vo Bhi Insaan Mile to Sab Humsafar Nikale! Hum Bhi Koi Kum Sharif Nahin, Vo Bhi Bade NekNazar Nikle! Hum Gaye The Mehmaan Banke Khaas Bade Mezbaan Nikale! Apni Hi Zuban Thi Sabki, Anzan Se Yun Pehchan Nikle! Socha Tha Dosti ka Haath Den Gale Mile O Gile-Shikve Nikle! Zahan Mai Kai Naap The Apne Sab Apne Tarazu Tule Nikle! Aznabi Hum, Aznabi Shahar mai Gair The Sab, Jo Apne Nikle! Har Koi Muskaraa Ke Mila, Goya Hu

मौत की दुकानदारी

मौत ले लो मौत, जो ख़रीदे उसका भी भला, जो बेचे उसका भी भला, जो मरे उसको दफ़ना-जला! मौत सरकारी भी है और आतंकी भी, व्यापम भी है और उरी भी, भारत भी है और कश्मीरी भी, फांसी का फंदा है, किसी को धंद्या है! मौत एक बेनामी गाय है, ताकत के हाथों एक राय है! किसी के लिए खर्चा है, किसी के चाय की चर्चा है! किसी की मौत गुस्सा किसी की मौत जूनून किसी की मौत आतंक किसी की जूनून, कोई खुनी, कोई आतंकी कोई देशभक्त, किसी का मारना बहादुरी, किसी का कायरी, किसी को वीरगति, किसी को कुत्ते की किसी की मौत मज़हब किसी की जात किसी का बदला, किसी पर हमला...... ....... फिर भी हम इंसान हैं, जानवरो से अलग, कहने को बेहतर, लगे हर लम्हा इस धरती को करने में बदतर! तरक्की तहज़ीब मुबारक हो!