दाढ़ी–टोपी कत्ल कर मन धीर लिया बनाए,
फिर बा को रत्न मिले, सबका मन ललचाए,
मन ललचाए गुंडन का सो मुंडन लिए कराए
ढाई आखर कत्ल का, किए सो लड्डू खाए!
लड्डू खाखा घी के गंगा लिए नहाए,
दोष अगर कोई है वो पानी पानी हो जाए!
पानी कर दिए खून का इतना उसे बहाए,
प्रभुवर आईने देख कर चुल्लू पानी जाएं!
पानी पानी हुए जो ताला मुंह पे लगाए,
रामराज में बोल दिए तो जेल बुलावा आए!
जेल हवा खाए जो भी सीधी रीढ़ दिखाए,
दंगाई राजा भौंक के पिरजा भेड़ बनाए!
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