समझदार को इशारा नहीं,
चलते बनिये जो उनको गवारा नहीं,
खेलते खुजाते रहें, जिसे
ज़ेब में रख्खा तमाशा नहीं,
खेलते खुजाते रहें, जिसे
ज़ेब में रख्खा तमाशा नहीं,
इश्क़ जज़्बात है,
मर्दानगी त्योहार नहीं, और
बांट दे वो खुशी से
"हां", उनकी,
दिवाली का खील बताशा नहीं!
हंसकर बात करते हैं,
ये हस्ती है उनकी,
खुद को पसंद करते हैं,
मुगालते हैं आपके, जो सोचे,
आप पर मरते हैं!!
इश्क़ साथ है,
दो लोगों की बात है,
मिल्कियत नहीं,
कोई मेरा हो गया, मान लेना,
रिश्तों की नज़ाकत नहीं!
इश्क़ सफ़र है,
हमसफ़र सी बात है,
मंज़िल नहीं,
हासिल हो गया, बात ख़त्म,
आशिक़ी की तर्ज नहीं!
इश्क़ इज़हार है,
इंकार है, इसरार है,
इम्कान है, आसान नहीं,
बात चलती रहे, हर सूरत
जज़्बातों का मर्ज़ नहीं!
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