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पनपने के सच – जवानी


बचपन पनपता है,
जवानी मचलती है
बुढ़ापा ठहरता है,


जवानी में दिल बहुत मचलता है,
मर्जी के रास्ते चलता है,
अक्सर पिघलता है,
अपने बस में है,
पर बस कहां चलता है?

जवानी जोश है,
एक पुकार है,
जिंदाबाद!
जवानी तूफान है,
कहां कोई थाम है,
मुश्किल आसान है!



बेलगाम है,
एक ललक है,
और लालच भी,
उस हर ताकत का,
जो लगाम लिए खड़ा है,
क्योंकि उसे तूफान चाहिए,
काम अपना आसान चाहिए!


दुनिया को तूफान चाहिए,
पर अपने लिए आसान चाहिए,
इसलिए बना दिया है,
उम्र बढ़ने को एक जंग,
हमेशा चलने वाली लड़ाई,
पहला नंबर आओ,
पीछे रह गए तो
और जोर लगाओ,
आगे निकल गए तो, किसी की
शाबाशी के गुलाम बन जाओ!
लगे हैं सब नंबर वन होने में,
ज्यादा हैं आप किसी के कम होने में?




जवानी, खर्च होने की चीज़ नहीं
तो गौर करिए,
कोई आपको कमा तो नहीं रहा?
नंबर – एक दो तीन
गिनती बना तो नहीं रहा?

बेलगाम रहिए,
बेनाम सही,
नाम होगा तो बिक जायेंगे,
कामयाबी कांटा है
मचली बाजार का,
जवानी मचलती है,
कैसे खुद को बचाएंगे?



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मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

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