रंगों के सवाल या रंगों से सवाल?
हकीकी उमीदें या सिर्फ ख्याल?
गहरे पैठेंगे या बदल करवट बैठेंगे?
तजुर्बे रास्ता देंगे या पीठ को एठेंगे
हकीकी उमीदें या सिर्फ ख्याल?
गहरे पैठेंगे या बदल करवट बैठेंगे?
तजुर्बे रास्ता देंगे या पीठ को एठेंगे
पलटते रास्ते, थके हुए सवाल, ऊंघती उमीदें, दम तोड़ते ज़ज्बात,
बड़ते कदम, ललचाते प्रश्नचिन्ह, नज़र आसमान, ये एहसास
बड़ते कदम, ललचाते प्रश्नचिन्ह, नज़र आसमान, ये एहसास
एक और सफर नज़र मैं है, एक और कदम असर में है,
निकल पड़े हैं फिर रास्तों पे, एक और सुबह सहर पे है
निकल पड़े हैं फिर रास्तों पे, एक और सुबह सहर पे है
जिंदगी निकली है फिर रास्तों की तलाश में
फूंक रही है जान जैसे, अपनी ही लाश में !
फूंक रही है जान जैसे, अपनी ही लाश में !
कितनी सारी उम्मीदें बंध गयी हैं काश में
और कोशिशें उलझी हैं अपनी तराश मेंगुजरे लम्हे बिखरे अशार, ओर एक अरसा होने को है
मायने यतीम घूमते है कितने, यकीं अपना खोने को हैं
कलम करने से सब सच्चाई हाथ नहीं होती
फिर भी चल दिए कि गंगा पाप धोने को है भूख पाली है या सिर्फ हाथ फैलाये बैठे हो
चादर मिल गयी लंबी तो पैर फैलाये लेटे हो
ख्वाब बुने हैं कल के या नींद भरोसे बैठे हो
जिंदगी जी रही है तुमको या तुम जन्दगी को जीते हो
एक और रास्ता सफर होने को है,
और एक एहसास नज़र हो जायेगा
और एक तजुर्बा उम्र होने को है
और एक फलक हमजमीं हो जायेगा मौसम, मुलाकात और कैसे हैं हालात
सूरज निकलने को है, उम्मीद पकडे है हाथ
इरादे कलम हों, तो कदम बनते है दवात
रास्ते कोरा कागज हैं! जिंदगी चल नाच
अपनी पोस्ट के प्रति मेरे भावों का समन्वय
जवाब देंहटाएंकल (23/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
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http://charchamanch.blogspot.com
खूबसूरत अभिव्यक्ति
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