सताने लगी है शाम अब कम थोड़ी कम,
आती है याद तेरी, अब कम थोड़ी कम !
जब से जिंदगी को समझने लगे हैं हम,
फ़ांसले मौत से हुए कम थोड़े कम !
जब से तेरे साथ चलने लगे हैं हम,
फ़ांसले मंजिलॊं से हुए कम थोड़े कम!
कोई भी दवा ली जाये अगर ज्यादा,
असर होता है उसका कम थोड़ा कम!
आशियां तो हुए थे पहले ही बहुत कम,
दिल में भी रहते हैं लोग कम थोड़े कम!
याद आती है उनकी कम थोड़ी कम,
भुलाने लगे उनको अब कम थोड़ा कम!
(जी .वाय. भिड़े को याद करते हुए जिनके पुछे सवालॊं को मैं आज भी जी रहा हुं)
आती है याद तेरी, अब कम थोड़ी कम !
जब से जिंदगी को समझने लगे हैं हम,
फ़ांसले मौत से हुए कम थोड़े कम !
जब से तेरे साथ चलने लगे हैं हम,
फ़ांसले मंजिलॊं से हुए कम थोड़े कम!
कोई भी दवा ली जाये अगर ज्यादा,
असर होता है उसका कम थोड़ा कम!
आशियां तो हुए थे पहले ही बहुत कम,
दिल में भी रहते हैं लोग कम थोड़े कम!
याद आती है उनकी कम थोड़ी कम,
भुलाने लगे उनको अब कम थोड़ा कम!
(जी .वाय. भिड़े को याद करते हुए जिनके पुछे सवालॊं को मैं आज भी जी रहा हुं)
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