कहीं कुछ रोकता है क्यों....
खुला दिलो-दिमाग हो तो दरवाज़े दीवार नहीं होते,
आपस की बात है, वरना ये आसार नहीं होते
देखने और होने के बीच के फ़ांसले ....
नज़र आँखों में नहीं यकीन में होती है,
एक हंसी से भी जिंदगी हसीन होती है!
सब एक नाव में सवार हैं . . .
आपको हमारे माथे की पेशानियां नहीं दिखती,
जमीं रहने दो, वरना लब्जों में जान नहीं दिखती
सफ़र आपके भी हैं और अपने भी....
गुजरते हुए लम्हे हैं गुमराह मत हो,
मुश्किलें
मील का पत्थर हों, सफ़र न हों!
तक्दीर फ़क्त एक रास्ता है,
मंज़िल नहीं होती,
मुश्किल, मुसाफ़िर न हो,
तो वो मुश्किल नहीं होती!
मुसाफ़िर होना फ़कीरी काम है,
सफ़र में यही बस एक नाम है!....
हमारा दुनिया में होना ही एक सफ़र होता है,
कौन सी राह से गुज़रेंगे, ये अपनी नज़र होता है!
मुसाफ़िर रहना हो तो फ़कीरी अंदाज़ हों,
कटोरा हम देंगे मुबारक आपकी आवाज़ हो!
हाथ फ़ैला दिये तो कटोरा तैयार है,
दिखती सामने होगी,
पर जहन में है, वो जो दीवार है,
प्यास का ही एक और नाम सफ़र है,
वो मुसाफ़िरी कैसी की जिसमे ड़र है,
साकी तो सिर्फ़ एक जरिया है,
यकीं करो हर तलाश को एक दरिया है!
बात बस इतनी है ...
सफ़र के जरिये तमाम,
क्यों कदमों का ड़र है
वहां तक पहुचेंगे
जहां तक आपकी नज़र है!
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक पहुंचेगी
खुला दिलो-दिमाग हो तो दरवाज़े दीवार नहीं होते,
आपस की बात है, वरना ये आसार नहीं होते
देखने और होने के बीच के फ़ांसले ....
नज़र आँखों में नहीं यकीन में होती है,
एक हंसी से भी जिंदगी हसीन होती है!
सब एक नाव में सवार हैं . . .
आपको हमारे माथे की पेशानियां नहीं दिखती,
जमीं रहने दो, वरना लब्जों में जान नहीं दिखती
सफ़र आपके भी हैं और अपने भी....
गुजरते हुए लम्हे हैं गुमराह मत हो,
मुश्किलें
मील का पत्थर हों, सफ़र न हों!
तक्दीर फ़क्त एक रास्ता है,
मंज़िल नहीं होती,
मुश्किल, मुसाफ़िर न हो,
तो वो मुश्किल नहीं होती!
मुसाफ़िर होना फ़कीरी काम है,
सफ़र में यही बस एक नाम है!....
हमारा दुनिया में होना ही एक सफ़र होता है,
कौन सी राह से गुज़रेंगे, ये अपनी नज़र होता है!
मुसाफ़िर रहना हो तो फ़कीरी अंदाज़ हों,
कटोरा हम देंगे मुबारक आपकी आवाज़ हो!
हाथ फ़ैला दिये तो कटोरा तैयार है,
दिखती सामने होगी,
पर जहन में है, वो जो दीवार है,
सच करवट बदलते हैं....
दुविधा भी सुविधा का दुसरा नाम है,
वो बहकना क्या जो हाथों मे जाम है?
मोड़ कहते हैं पिछले सफ़र को भुल जाओ,
मौका मिला है,
जरा और खुल जाओ, संभल जाओ!
वो बहकना क्या जो हाथों मे जाम है?
मोड़ कहते हैं पिछले सफ़र को भुल जाओ,
मौका मिला है,
जरा और खुल जाओ, संभल जाओ!
पलक झपकते दौर बदलते हैं....
प्यास का ही एक और नाम सफ़र है,
वो मुसाफ़िरी कैसी की जिसमे ड़र है,
साकी तो सिर्फ़ एक जरिया है,
यकीं करो हर तलाश को एक दरिया है!
बात बस इतनी है ...
सफ़र के जरिये तमाम,
क्यों कदमों का ड़र है
वहां तक पहुचेंगे
जहां तक आपकी नज़र है!
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक पहुंचेगी
गुफ़तगु का वो दौर भी, बड़ा रास आया,
अर्सा गुजरा, मैं लफ़्जों के इतने पास आया!
अर्सा गुजरा, मैं लफ़्जों के इतने पास आया!
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