कौन सा सपना साकार होता है, एक और बला का बलात्कार होता है, चलो बला टली, एक सबला को अबला किस ने. किस से, किस का, लिया बदला? नयी कोई बात नहीं, सदियॊं का ये सिलसिला, मर्द आखिर है मनचला, जब मन मचला पैर फ़िसला, किसी को कुचला सीटी मारने से लड़की पलट जाती है, थोड़ा छेड़ा तो अमुमन पट जाती है, शर्मा गयी होगी जो रस्ते से हट जाती है, थोड़ा एसिड़(Acid) और निपट जाती है! भीड़ में मौका देख सट जाते हैं, बस के धक्के पर लिपट जाते हैं, हाथ की सफ़ाई है चिमट जाते हैं, अकेले पड़ गये तो सटक जाते हैं गली में थूका हुआ पान है, घर में रोटी और नान है, बाजार में 'ओये मेरी जान!' है, आखिर गंगा में स्नान है! एसा क्या उखाड़ दिये, बेटी तीसरी थी सो जिंदा गाड़ दिये, बीबी मेरी है, दो हाथ झाड़ दिये, दुश्मन की, सो कपड़े फ़ाड़ दिये! प्यार में थोड़ी छेड़-छाड़, थोड़ी जबरदस्ती जायज़ है, बलात्कारी सभ्यता में, क्या ये मान्यता वायज़ है?
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।