रिश्ते चुनते हैं हम को, कि हम रिश्तों को चुनते हैं, रिश्ते बुनते हैं हम को, कि हम रिश्तों को बुनते हैं! अपने बनते हैं युँ ही, कि युँही बनते हैं अपने हैं, सुनते हैं जो हम कहते, या कहते हैं हम सुनते हैं नाम किसका है और क्यों खुद को सामान करते हैं, कुछ खबर है आप को युँ खुद को दुकान करते हैं! नज़र इरादों को जगाती है, उम्मीद अभी बाकी है, युँ छोड़िये फ़िक्र करना तनिक भी, अभी बेबसी काफ़ी है! लंबी उमर है क्या जल्दी है नाउम्मीदगी की, दो-चार दिन जरा कोशिश के लुत्फ़ ले लो! उम्मीद पलती है गहरे अंधेरे कोनों में, क्या रखा है मुलायम से बिछौनो में! बुरे हालात हैं पर भी मुस्कराते हैं, जानते हैं ये सच ही झूठी बातें हैं! खामोशी सुनती नहीं, आवाज़ों ने बहरा कर दिया, मेरी सोच ने ही, मेरी आज़ादी पर पहरा कर दिया! वही दिखेगा सामने जो नज़रिया कर लिया आंखें बंद की और अंधेरों को गहरा कर लिया! इरादे सफ़र को निकले हैं, रस्ते इबारत करने, मुश्किलें हों भी तो रंग तजुर्बों के नफ़ासत करने! इबारत की इज़ाजत है, या की कोई हिमाकत है, अधुरे रह गये सफ़र और बस थोड़ी हरारत है!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।