तमाम
रस्ते हैं चलने को,
छोटे पड़ते हैं खुद से मिलने को
छोटे पड़ते हैं खुद से मिलने को
कितने
दूर ले जायें अदनी हकीकतें,
किस
मोड़ मिले अपना आईना
आना जिंदगी, मेरे घर आना. . .
आना जिंदगी, मेरे घर आना. . .
अपनी
नज़दीकियों से खेले हैं,
रिश्तों
का मुश्किल नाम रखा है,
क्यूँ
नहीं बदलता, बदलता
मायना. . .
आना
जिंदगी, मेरे
घर आना. . .
दो
पल का साथ क्या साथ नहीं,
चंद
लम्हों के लिये जुड़ जायें,
करें
मुमकिन साथ गुनगुनाना
आना
जिंदगी, मेरे
घर आना. . .
कब
अपनी मुस्कानें हमें रुलायेंगी
चलिये
अपने यकीन को पालें, पा
लें,
गुज़ारिश
है कहें हमको दीवाना,
आना
जिंदगी, मेरे
घर आना. . .
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