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आदमी और आमदनी!


बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ,
आदमी हुँ आमदनी से प्यार करता हूँ,

एक तिज़ोरी बन गया दुनिया के मेले में,
पैसे दिखते कोल में, ड़ब्बे में रेलों के,
मुस्करा के नोट सब स्वीकर करता हूँ

आदमी हुँ आमदनी से प्यार करता हूँ

हूँ बहुत नादान करता हूँ ये नादानी
भाई भतीजे मेरे और मेरी ही मनमानी
हाथ खाली हैं मगर व्यापार करता हूँ
आदमी हूँ . . .

क्या हुआ जो फंस गया हूँ एक स्केंड़ल में,
खुश करुँ लक्ष्मीजी सोने की केंड़ल से
इस तरह में टीम अपनी तैयार करता हूँ
आदमी हूँ . . .

मैं बनाना चाहता हुँ स्वर्ग धरती पर,
ले लो तुम कॉन्ट्रेक्ट इसका टेंड़र भर-भरकर,
3G का नेटवर्क मस्त तैयार करता हूँ

आदमी हूँ आमदनी से प्यार करता हूँ . . .
https://www.youtube.com/watch?v=rEuGYVAQutY
स्टार प्लस के ड़ांस शो को promote करने के लिये करंट इशूस के उपर व्यंग करने के लिये शो के पार्टिसिपेंट चावट बोयस के लिये लिखे गाने!

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हाथ पर हाथ!!

मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

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