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अरे बैन- छोड़ !

शानदार भारतीय परंपरा, 
"त्याग"
सीधी भाषा में बोलें तो "छोड़ना"
राम ने राज त्यागा, राम राज हो गया, 
वनवास करने के बाद
दोबारा राज छोड़ने में कोई एक्साइटमेंट नहीं था, 
टी.आर.पी भी  नहीं मिलती, 
रियलटी शो का नया सीज़न था
सीता त्याग दी, 
मर्द बन गये, वाह, मर्दाना पुरुषोतम, 
खैर वो पुरानी कहानी है, 
"हे राम" 
अब सरकार ने जनता को भगवान बनाने की ठानी है, 
एकदम फ़्रेश कहानी है, फ़ुलटू टी आर पी वाली
अरनब कि कसम,
आप सब जानते हैं,
त्याग से भगवान बनते हैं, 
राम हुए, बुद्ध हुए, 
वो राजाओं का युग था, 
राजा भगवान हो गये
अब प्रज़ा का युग है, 
तो प्रज़ा बनेगी, 
(ये एपिसॊड़ लम्बी चलेगी )
पर कैसे, 
त्याग तो सिखाना होगा
छोड़ना, 
अब एक एक को कहां समझाने जायें, 
चलो बैन का रास्ता अपनायें 
बैन जोड़   मतलब बेजोड़ आईड़िया है, 
और सदियों से कहावत चली आ रही है, 
एन आईड़िया केन बदलो दि दुनिया
बीफ़ बैन- छोड़     खाने का त्याग, अब मुसलमान भगवान होंगे
मीट बैन-छोड़    खाने का त्याग, अब शिवसेनी भगवान होंगे
फ़िल्म में गाली बैन - छोड़, अब सितारे भगवान होंगे, गजिन्दर महाराज कि जय!
महाराष्ट्र में‌ सवाली बैन - छोड़, सवाल पूछने वाले अब भगवान को प्यारे होंगे
घुटने के उपर स्कर्ट बैन - छोड़, मोदी छाप साड़ी की सरकारी वर्षा होगी
हरियाणा, गुजरात मे बेटी बैन - छोड़, बेटे भगवान होंगे,
(बेटी त्याग दवा के नाम के लिये गूगल अंकल से पूछें)
जनसंख्या में जाति बैन - छोड़,  अब सब भगवान होंगे, 
मूरख! भगवान की क्या जाति होती है, 
सिर्फ़ धर्म होता है, हिंदू
यही है सारे बैन/छोड़ का बिंदू!
सारे हिंदू भगवान होंगे, 
बचे हुए क्रिस्ती, मुसलमान, सिख, जैन, बुद्ध अब सिर्फ़ इंसान होंगे, 
अरे अरे गलती हो गयी, सिख, जैन, बुद्ध तो सब हिंदू के ही रूप हैं, 
और भगवान इंसाफ़ करेंगे, घर घर में वास करेंगे, 
ऐसी दूरदर्शी सरकार, 
घर घर भगवान होंगे, 
चंद बचे इंसान होंगे, पर इतने भगवानों के सामने किसकी चली है, 
किसकी दाल गली है, 
ओए बकरा मत खायो, वो कल काली कि बली है, 
अब सतयुग आयेगा, 
भगवान की घर वापसी
कितनी समझदारी कि प्रजा ने, 
एक नर को इन्द्र बना के, 
अब भारत स्वर्ग है,
कंड़ीशनस एप्लाय (कवि गुरिन्दर से उधार शब्द) 
सिर्फ़ हिंदुओं के लिये, 
वही मतलब! (श श श श श श ) वो हिंदू जो इंसान हैं, 
मुरख! "शूद्रों" कि बात मत करिये
उनका इंसान होना बैन है!
और उनकी भी तो तरक्की है, 
सदियों से उनको रिजर्वेशन दिया है, 
पहले इंसान का गंदगी साफ़ करते थे, 
मंदिर के बाहर से तकते थे, 
अब देखो, भगवान की सेवा करेंगे, 
उनके घर घर जाकर साफ़ करेंगे

अहो भाग्य, धन्य हो गये सारे "कमजात"
अब घर घर हिन्दु-स्थान बनेगा
और भगवान होने के लिये 
हर इंसान(क्रिस्ती, मुसलमान) 
करेगा अपने को बैन - छोड़ कर,
अपना तत्कालीन खुदा,  
घर वापसी पर आपका स्वागत है भग वन!
(भारत और उसके संविधान को अश्रुपूर्ण श्रधांजलि के साथ )

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हाथ पर हाथ!!

मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

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