सच महंगे होंगे तो जरूर बिकेंगे
कहिये आप किस बाज़ार टिकेंगे?
अकेले सच कोई नहीं लेता,
पहले आप के ही दाम लगायेंगे!
आप खबर बस सुनते हैं या चुनते हैं?
या सुन कर फिर अपने सच बुनते हैं
सच जानने का दौर गया,
सच मानने पर सब ज़ोर है!
बना बना के सच बेचते है
लाशों पे अपनी रोटी सेंकते हैं
बड़े शातिर है शैतान भुखों को
मज़हब का चारा फ़ेंकते हैं!
कैसे सच अपने आसान करें,
जब सामने झूठ पहलवान करे
लाठी ले कर हाथ में कहें,
भैंस का चलना आसान करें!
सच का भी मज़हब होता है, जात होती है,
गौर कीजे, कोई लाठी उनके हाथ होती है!
दिल से मागेंगे तो हर एक दुआ असर होगी,
पर ज़रा सच चख के, छूटी कोई कसर होगी!
कहिये आप किस बाज़ार टिकेंगे?
अकेले सच कोई नहीं लेता,
पहले आप के ही दाम लगायेंगे!
आप खबर बस सुनते हैं या चुनते हैं?
या सुन कर फिर अपने सच बुनते हैं
सच जानने का दौर गया,
सच मानने पर सब ज़ोर है!
बना बना के सच बेचते है
लाशों पे अपनी रोटी सेंकते हैं
बड़े शातिर है शैतान भुखों को
मज़हब का चारा फ़ेंकते हैं!
कैसे सच अपने आसान करें,
जब सामने झूठ पहलवान करे
लाठी ले कर हाथ में कहें,
भैंस का चलना आसान करें!
सच का भी मज़हब होता है, जात होती है,
गौर कीजे, कोई लाठी उनके हाथ होती है!
दिल से मागेंगे तो हर एक दुआ असर होगी,
पर ज़रा सच चख के, छूटी कोई कसर होगी!
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