सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अजनबी मुल्क!



अजनबी अपने ही मुल्क में,
यूँ हमसे वास्ता कर लिया?

सब कट लिए अपने अपने रास्ते,
क्यों हमने ये रास्ता कर लिया?

हम यकायक सामने आए, उसने
पतली गली को रास्ता कर लिया!



घर से इतना दूर कैसे हो गए
शहर ने ऐसा रिश्ता कर लिया!


मजबूर हैं तो मदद मिल गई,
मजदूर खस्ता हाल कर दिया!


जितने थे यकीं सब टूट गए,
मूरख थे सो भरोसा कर लिया!


वंदे मातरम जबरन बुलवा के
देश भक्त मूरख बना दिया!


लाठी पुलिस की बोलती है, 
इसने कब सरम कर 
लिया?

मेहनत बड़ी सस्ती है यहाँ,
लंबा घर का रास्ता कर लिया!



भूखे रहें बच्चे कि हाथ फ़ैलाएं
इज्ज़त यूँ दरबदर कर दिया! 


पूछते हैं के वापस आओगे?
बेशर्म शहर सवाल कर लिया!


जात धरम सब याद दिलाए,
सरकार ये कमाल कर दिया

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!

जिंदगी ज़हर!

जिंदगी ज़हर है इसलिए रोज़ पीते हैं, नकाबिल दर्द कोई, (ये)कैसा असर होता है? मौत के काबिल नहीं इसलिए जीते हैं, कौन कमबख्त जीने के लिए जीता है! चलों मुस्कुराएं, गले मिलें, मिले जुलें, यूं जिंदा रहने का तमाशा हमें आता है! नफ़रत से मोहब्बत का दौर चला है, पूजा का तौर "हे राम" हुआ जाता है! हमसे नहीं होती वक्त की मुलाज़िमी, सुबह शाम कहां हमको यकीं होता है? चलती-फिरती लाशें हैं चारों तरफ़, सांस चलने से झूठा गुमान होता है! नेक इरादों का बाज़ार बन गई दुनिया, इसी पैग़ाम का सब इश्तहार होता है! हवा ज़हर हुई है पानी हुआ जाता है, डेवलपमेंट का ये मानी हुआ जा ता है।