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एक एक कदम!


हर कदम 
पूरा सफर है,
उसके बिना 
अधूरा सफर है,
पहला कदम 
शरुवात है,
पूरी,

दूसरा, 
इरादों की मंजूरी,
तीसरा,
नीयत जरूरी,


और एक कदम,
काबिलियत
और एक कदम
तैयारी,
जज़्बा,
हिम्मत,
कुव्वत,
शौक,

पूरा होश,
और जोश,
एक और,
और एक,

साबित कदमी
कुछ और
यकीन,
और, कुछ मोड़
आख़िरकार 
सामने नज़र,

चंद और कदम
और चार कदम
जरूरी, तीन
कोस दूरी,
दो बातें अधूरी,
एक होती
जिस्म और रूह ,
अंत है या शुरुवात,
फिर किसने रोक रखा है?

बस एक कदम 
पूरा करिए,
सामने है,
दूरी पूरी करिए,
बस एक कदम,
वो ही सफर है,
वो ही दूरी,
वो ही जरूरी,
बात उसी से पूरी,
बाकी सब बातें हैं
अधूरी!

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साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!

जिंदगी ज़हर!

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