मैं भारत हूं, मैं भी, टुकड़े टुकड़े, रोज टूटता, बिखरता हूं, अपनी नजरों में गिरता हूं, कभी रोहित के गले का फंदा, कभी कठुआ का दरिंदा, कभी तबरेज़ की लाश हूं, कभी बदायूं का काश हूं, मीलों चलता, मैं ख़ामोश हूं, और मैं भी, शब्दों की धार हूं, पूरा ही हथियार हूं, फिर भी बेकार हूं, पूरा का पूरा एक टुकड़ा मैं भी, भारत, टूटा हुआ!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।