रामराज्य का यही न्याय है,
किस के कहे सुने से गुनाह है?
अपने ही हक़ में फ़ैसला करेंगे,
योर हॉनर, इंसाफ़ क्या करेंगे?
ये सरकार दीमक है, किसको किसको चाटेगी?
मीडिया, अफसरशाही, न्यायपालिका सफ़ाचट!
सरकार का न्याय है, न्याय मूर्ति है?
फ़ासीवाद की देखिए खूबसूरती है?
माय लॉर्ड, योर हॉनर, जी हजूरी है क्या?
कोई सवाल न करो ये मजबूरी है क्या?
सही गलत कुछ हो, हमें ठीक नहीं लगा?
रूठ गए हैं जस्टिस या कर रहे हैं फैंसला?
सच को ख़ुद की वक़ालत करनी पड़े?
ऐसी जहालत के दौर कैसे आ गए?
लाखों मजबूर थे, मजदूर थे, घर से दूर थे,
पर सरकार, न्यायपालिका साथ जरूर थे!
सच की बात अगर यूँ गुनाह हो जाए?
गोया गुनाह, न्याय की पनाह हो जाए!
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