बड़े फ़ायदे के नफ़रत के कारोबार हैं,
सुना है आज़कल वो सरकार हैं!
राम के नाम की सरकार हो गई,
संविधान की बात हे'हराम हो गई!
धर्म गिरा है या निचले कर्म हो गए हैं?
इस दौर में ख़ासे बेशरम हो गए हैं
अच्छे खासे आजकल राम हो गए,
धर्म के धंदे आजकल तमाम हो गए!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।
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