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पूरी दुनिया अधूरी कहानी!

मर्द और औरत,
एक अधूरी कहानी,
एकतरफा,
मर्दों की जुबानी!

तुम्हारी-हमारी माँ कि......बहन की....
दुनिया नहीं लायक...चाल-चलन की…

मर्द और औरत
बेगैरत और हैरत!

काश सारे के सारे 'ना'मर्द होते,
बड़े शरीफ़ औरतों के दुःखदर्द होते!

मर्द हुए के फेर में अब मुए बहकाए,
बाप, भाई, पति से कैसे प्राण छुटाए,
कैसे प्राण छुटाए जान पे बन आई,
औरत अपनी मर्ज़ी, तो बने मर्द कसाई!

औरत की इज्जत महंगाई,
मर्द की इज्जत घटिया,
कहीं न बिकाई??

इतना भी क्या मर्द बनना,
बेगैरत बेशर्म बनना,
औरत सामान, कहें गहना,
सजना के लिए क्यों सजना???

मानो न मानो ये खालिस सत्य है
औरत, मर्द नाम की बीमारी से ग्रस्त हैं!!

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हाथ पर हाथ!!

मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

पूजा अर्चना प्रार्थना!

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