क्यों पूछते हैं के; ये साल कैसा है? जो हम कहें; ये सवाल कैसा है? इलाज़ नहीं मर्ज़ का और हाल कैसा है? दफना दिया ज़हन में वो सवाल कैसा है? खुशी किस बात की, बवाल कैसा है? आसमान भेदती तरक्की का अंजाम कैसा है? ख़बर बन कर आता इश्तहार कैसा है? उम्मीद कैसी है यकीन कैसा है? ख़ुदा को दफन करके राम कैसा है? मज़ाक बन गए हैं इलेक्शन सारे, सच, क्या मन की बात जैसा है? बेशर्म है नहीं मरता, इंसान कैसा है! गला दबोच के रखा है साल भर से, कोई सुनेगा वो पेलेस्टाइन कैसा है? क्या बदला है जो ये साल बदला है? जरा सोचिए ये सवाल कैसा है?
जो पूछते हैं हमसे, साल कैसा था, सोचते हैं हम, ये सवाल कैसा था? उस गली में हो रहा कत्लेआम कैसा था? जो सुने नहीं उन चीखों का अंजाम कैसा था? जो लुट गए उनका सामान कैसा था? जो मिट गए उनका राम कैसा था? आपकी नफरतों के जो काबिल हैं, उनका ग़रेबाँ कैसा था? जो 'मंदिर वहीं बना' उसकी जमीं कैसी थी ओ आसमान कैसा था? अपने नहीं हैं जो उनका श्मशान कैसा था? या कब्रिस्तान कहिए? गाज़ा के बच्चों का अरमान कैसा था? अलेप्पो (हलब) में खंडहर कुर्दिस्तान कैसा था! न हंस पाएं उन बच्चियों का अफगानिस्तान कैसा था? मत पूछिए मुझसे के साल कैसा था, हाल कैसा है? जो "आंख ही से न टपका" वो मलाल कैसा है?