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संदेश

वही पुराना नया साल!

क्यों पूछते हैं के; ये साल कैसा है? जो हम कहें; ये सवाल कैसा है? इलाज़ नहीं मर्ज़ का और हाल कैसा है? दफना दिया ज़हन में वो सवाल कैसा है? खुशी किस बात की, बवाल कैसा है? आसमान भेदती तरक्की का अंजाम कैसा है? ख़बर बन कर आता इश्तहार कैसा है? उम्मीद कैसी है यकीन कैसा है? ख़ुदा को दफन करके राम कैसा है? मज़ाक बन गए हैं इलेक्शन सारे, सच, क्या मन की बात जैसा है? बेशर्म है नहीं मरता, इंसान कैसा है! गला दबोच के रखा है साल भर से, कोई सुनेगा वो पेलेस्टाइन कैसा है? क्या बदला है जो ये साल बदला है? जरा सोचिए ये सवाल कैसा है?
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नया साल, फ़िर वही मलाल!

जो पूछते हैं हमसे, साल कैसा था, सोचते हैं हम, ये सवाल कैसा था? उस गली में हो रहा कत्लेआम कैसा था? जो सुने नहीं उन चीखों का अंजाम कैसा था? जो लुट गए उनका सामान कैसा था? जो मिट गए उनका राम कैसा था? आपकी नफरतों के जो काबिल हैं, उनका ग़रेबाँ कैसा था? जो 'मंदिर वहीं बना' उसकी जमीं कैसी थी ओ आसमान कैसा था? अपने नहीं हैं जो उनका श्मशान कैसा था? या कब्रिस्तान कहिए? गाज़ा के बच्चों का अरमान कैसा था? अलेप्पो (हलब) में खंडहर कुर्दिस्तान कैसा था! न हंस पाएं उन बच्चियों का अफगानिस्तान कैसा था? मत पूछिए मुझसे के साल कैसा था, हाल कैसा है? जो "आंख ही से न टपका" वो मलाल कैसा है?  

जिंदगी ज़हर!

जिंदगी ज़हर है इसलिए रोज़ पीते हैं, नकाबिल दर्द कोई, (ये)कैसा असर होता है? मौत के काबिल नहीं इसलिए जीते हैं, कौन कमबख्त जीने के लिए जीता है! चलों मुस्कुराएं, गले मिलें, मिले जुलें, यूं जिंदा रहने का तमाशा हमें आता है! नफ़रत से मोहब्बत का दौर चला है, पूजा का तौर "हे राम" हुआ जाता है! हमसे नहीं होती वक्त की मुलाज़िमी, सुबह शाम कहां हमको यकीं होता है? चलती-फिरती लाशें हैं चारों तरफ़, सांस चलने से झूठा गुमान होता है! नेक इरादों का बाज़ार बन गई दुनिया, इसी पैग़ाम का सब इश्तहार होता है! हवा ज़हर हुई है पानी हुआ जाता है, डेवलपमेंट का ये मानी हुआ जा ता है।

कशमकश कश्मीरियाँ

  Kashmir

वक्त के बाद

वक्त सही है साथ नहीं साथ सही है वक्त नहीं, वो ख़ास लम्हा हो, ये खत्म होती तलाश नहीं! जो है पास वो क्या है उसकी क्या जगह है? नज़र भटक रही उस मोड़, शायद बेहतर सुबह है? जो दरारें हैं वही आप हैं, मरम्मत करना बेकार है! कोई लम्हा, कोई ख़ास, एक फ़रेब है ये एहसास!!  आप जब आप होते हैं, वक्त के बाद होते हैं, दिलों के साथ आने के मा'क़ूल हालात होते हैं! (मा'क़ूल - appropriate)  लगा दिए हैं पैमाने ओ ताउम्र हम नाप रहे हैं, दुनिया के कहे पर, कम, ख़ुद को आंक रहे हैं! (ताउम्र -whole life) वक्त के बाद होइए  ज़रा आजाद होइए, इंतजार ज़ंजीर है, आप बस आप होइए!! (created from the text on a insta status)  right person, wrong time right person, wrong time if it's right, you won't know. because you're too busy looking for the right person, too busy looking for the right time and the perfect moment. And while you're stuck searching, ironically you are losing what you have already found. Losing a piece of who you are because you're tryin to fix the cracks in your life with a person, a m...

आज़–कल

आज़ की सोच फिर कल की बात करते हैं, गुजरते सच को भला क्यों हालात करते हैं? हदें सारी सिमट गई हैं आज तंग यकीनी में, हमराय न हुए तो कातिल जज़्बात करते हैं! मोहब्बत यूं भी गरीब है तमाम सरहदों से और फिर ये बाजार जो हालात करते हैं! यूं नहीं के इंसानियत बचीं नहीं है कहीं, पर बस अपने ही अपनों से मुलाकात करते हैं! तालीम सारी मुस्तैद है सच सिखाने को, वो शागिर्द कहां जो अब सवालात करते हैं! कातिल हैं मेरे वो जो अब मुंसिफ बने हैं, और कहते हैं क्यों खुद अपनी वकालात करते हैं! फांसले बढ़ रहे हैं दो सिरों के मुसलसल, ताकत वाले बात भी अब बलात् करते हैं! हमदिली की बात अब डिज़ाइन थिंकिंग है, बेचने को बात है, सो ताल्लुकात करते हैं! दीवारें चुनवा दीं हैं रास्तों में किसानों के, सुनने की इल्तजा पर घूंसा–लात करते हैं! [तालीम - education; शागिर्द - student; मुसलसल -continuous; हमदिली- Empathy ;  बलात्  - by force ; इल्तजा - request] 

हमदिली की कश्मकश!

नफ़रत के साथ प्यार भी कर लेते हैं, यूं हर किसी को इंसान कर लेते हैं! गुस्सा सर चढ़ जाए तो कत्ल हैं आपका, पर दिल से गुजरे तो सबर कर लेते हैं! बारीकियों से ताल्लुक कुछ ऐसा है, न दिखती बात को नजर कर लेते हैं! हद से बढ़कर रम जाते हैं कुछ ऐसे, आपकी कोशिशों को असर कर लेते हैं! मानते हैं उस्तादी आपकी, हमारी, पर फिर क्यों खुद को कम कर लेते हैं? मायूसी बहुत है, दुनिया से, हालात से, चलिए फिर कोशिश बदल कर लेते हैं! एक हम है जो कोशिशों के काफ़िर हैं, एक वो जो इरादों में कसर कर लेते हैं! मुश्किल बड़ी हो तो सर कर लेते हैं, छोटी छोटी बातें कहर कर लेते हैं! थक गए हैं हम(सफर) से, मजबूरी में साथ खुद का दे, सबर कर लेते हैं!