सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जमूरा जम्हूरियत का!!

चौकीदार - ए जमूरा जमूरा - जी चौकीदार चौकीदार - बोलेगा जमूरा - बोलेगा चौकीदार चौकीदार - जो बोलेंगे वो सोचेगा जमूरा - जी चौकीदार चौकीदार - तोता बनेगा जमूरा - जी चौकीदार चौकीदार - बंदरी बदरंगी बनेगा जमूरा - जी चौकीदार चौकीदार - जो भेजेंगे वो पड़ेगा जमूरा - जी चौकीदार...फॉरवर्ड भी करेगा चौकीदार - सवाल पूछेगा, जमूरा - जी चौकीदार सरकार - क्या ?(थप्पड़, घूंसा, लात) सरकार - सवाल पूछेगा  जनता - नहीं सरकार सरकार - सवाल सोचेगा  जनता - नहीं सरकार सरकार - बोल जंग जनता - जंग जंग जंग सरकार - वार  जनता - वार वार वार सरकार - मार डालो  जनता - मार डालो मार डालो!
हाल की पोस्ट

मुकम्मलियत मुबारक!

हम भी आतंकी हैं हम भी खूंखार हैं, भयंकर हैं हम, हम भूत सर सवार हैं! कातिल हैं हम, वहशी भी अपरंपार हैं, हम ही शैतान हैं, हम कहां खबरदार हैं! हम छप्पन नहीं बस, हम पैंसठ साठ हैं, सत्तर पचहत्तर हैं हम नंबरदार हैं!! बड़े काम के हैं हम जब हम बेकार हैं, बोझ हैं जमीन पर, मिट्टी के गुनहगार हैं! हम ही बंदूक हैं, टैंक हैं, उड़ती मिसाइल हैं, आने वाली पीढ़ी को बड़ी घटिया मिसाल हैं! हम भगवान भी हैं, हम ही अपने निजाम हैं, हम से गलती नहीं होती, निष्कल आवाम हैं!

साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

रास्ते!!

  यूं गुजर रहे है की जैसे रास्ता हैं, कुछ होना नहीं, कुछ बनना नहीं, साथ सब के हैं, किसी के हाथ नहीं, अगर मुश्किल हो  तो वो रास्ता नहीं, रास्ते किसी के रास्ते नहीं आते, और कभी भटकाते नहीं हैं! रास्ते कहीं जाते नहीं हैं, कहीं पहुंचाते नहीं हैं, रास्ते बस शून्य हैं, अपने आप में कुछ नहीं, पर कोई साथ ले, तो सौ-हजार हैं, जरूरी हमसफ़र है, आपसी व्यवहार हैं! अपने कदमों से पूछिए! क्या वो इस दोस्ती तैयार हैं? मंजिलों से घिरे हुए हैं, फिर भी रास्ते आज़ाद हैं, जो ये समझ जाए वो मुसाफ़िर है, सफ़र ही उसका आख़िर है, समझ पाएं तो, जिंदगी भी एक रास्ता है, आने और जाने के बीच से गुजरते, रुकने का सोच रहे हैं? मूरख, आप जागते भी सो रहे हैं!!

हम लोग!

  रीढ़ की हड्डी पहले ही नम थी, अब ऑक्सीजन भी कम है! जो बोया वही काटते हैं, आख़िर किस बात का गम है? सच का सामना हुआ अब, तो मन की बात झूठ लगती है? अब पछतावत होत का, नफ़रत ऐसे ही फलती फूलती है! जो नज़र ही न आए, वो सच है के झूठ? भक्ति का काम है जपें "बहुत खूब, बहुत खूब"! मरने वाले सब लाश हो गए, ज़िंदा हैं जो काश हो गए, ध्यान से सुनिए खबर, सच सब सत्यानाश हो गए! अच्छों अच्छों के पाप धुले हैं,  डुबकी लो बस आप भले हैं! उनके गुनाह नहीं गिनते मूरख,  जो गाय दूध-मूत धुले हैं! कुम्भ_करन को सब जाएं,  करमकांड को करम बनायें, भक्ति मोह-माया बन गई,  एक दुजे से होड़ लगाएं!   

मोहब्बत ख़ुद से!

खुद से मोहब्बत का रिश्ता बरकरार है, कभी इकरार है कभी इंकार है, बात नहीं होती अक्सर, दिल भर, दुनिया, ये बड़ी दीवार है! खुद से मोहब्बत का रिश्ता बेकरार है, जाहिर है क्या ओ क्या पुर इसरार है! बता देता है सब कुछ, अक्सर, कभी मुंह खोलने से इंकार है! खुद से मोहब्बत का रिश्ता बेकार है, खुद है गलती, खुद ही इंकार है, सर चढ़ बोलता है, शाबाश! पलक झपकते निकम्मा होने तैयार है! खुद से मोहब्बत का रिश्ता इसरार है, रूठने - मनाना ये ही प्रकार है, आईना है सामने हरदम, पर कौन इसे देखने तैयार है? क्या खेल है खुद से मोहब्बत का रिश्ता? क्यों इसमें कोई जीत हार है? होड़ है आगे रहने की, ज़हन में, दिल को ये दौड़ नागवार है! ख़ुद से मोहब्बत का रिश्ता दीवार है, हर मोड़ कम करने को, दुनिया सर चढ़ बैठी है, ओ ये रिश्ता काबिल सिपहसलार है!

वो लोग!

  लोग मिलते हैं,  बात करते हैं, हम सुनते हैं, जज्बात करते हैं! दुनिया वाले हालात करते हैं, चंद लोग सवालात करते हैं, उन्हें नहीं चलनी भेड़चाल, तय रास्तों को लात करते हैं! मुश्किलें किसी की हों, नए रस्ते इज़ाद करते हैं, यूं समझते हैं किसी को, उस हमदिली की दाद करते हैं! मुश्किलें नहीं रोकतीं, आगे की बात करते हैं, जंजीरों से हालात की खुद को आजाद करते हैं! हम देखते हैं उनको, दो हाथ साथ करते हैं, रास्ते मिलते हैं, उनसे सफ़र की बात करते हैं! (पिछले 8 महीनों से प्ले फॉर पीस ने तमिलनाडु मैं जेसुइट रिफ्यूजी सर्विसेस के साथ काम करना शुरू किया है. हम संस्था के सब स्टॉफ के साथ काम कर रहे हैं जो तमिलनाडु के 29 जिलों में फैले श्रीलंका के तमिल शरणार्थीयों के 105 कैंपों में बच्चों के साथ काम कर रही है। पहले प्रशिक्षण के तीन महीने बाद ही बदलाव की बहुत कहानियां पता चलीं। दूसरे प्रशिक्षण में सब के साथ मिलकर, उनका जज्बा जान कर लगा कि लगन और ग्रोथ मानसिकता के साथ काम करने वाले कितना बदलाव ला सकते हैं। ये कविता उन्हीं को समर्पित है)