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कितने आज़ाद!

जो आज़ाद हैं, बेशर्म, बेबाक हैं, आपके गरेबाँ पर उनके हाथ है!! आज़ादी उड़ती नज़र आती है हाथों से, डोर कहां है ज़रा गौर कीजे हालातों पर! आज़ादी के इस मुल्क में कैसे नसीब हैं, अपने हैं सियासी सारे जो इस के रकीब हैं! किसी को मन की बात है, किसी को घूँसा लात है, एक आज़ादी है जो नाले से गैस बनाती है, राफेल का दाम बढ़ाती है, गुंडों को भक्त कहलवाती है, गौरक्षक से बंब बनवाती है, एक आज़ादी जिसके गले पर कसा हाथ है, क्या मर्ज़ी, क्या मजाल है, रोहित के गले मे फंदा है, बालिका ग्रह में बाप नंगा है, उमर बंदूक के निशाने है, नफ़रत को देशभक्त बहाने हैं! आप भी कहिए मन में क्या बात है, आज़ादी एक दिन है या हालात हैं? आपको अपने विरोधी इंसान लगते हैं? क्या सवाल पूछना देशद्रोह है? राष्ट्रवाद क्यों शातिर गिरोह है?

आज़दी क्या?

क्या आप आज़ाद हैं, या अपनी जंजीरों के बर्बाद! (धर्म के नाम पर तोड़-फ़ोड, हत्या-बलात्कार, आसाराम, राधे मां और तमाम बाबा और स्वामी) कहिये कि कैसे सिर्फ हाँ बन जाएं, बेहतर है इससे कि बेज़ुबाँ बन जाएँ! (आर.टी. आई कार्यकरताओं की सरे-आम हत्याएं) अंधविश्वास विज्ञान है, मेरा भारत महान है! (झारखंड़ में ११ महिलाओं को ड़ायन बोलकर हत्या) आज़ाद हो इसपे शक मत करो, नासमझी गुनाह है इस दौर का? क्यूँ इस तरह आज़ाद हैं, सवालों वाले बर्बाद हैं? सर घुटनों में रखिये तो आप आज़ाद हैं जो सीधे खड़े है उनको हुकूमत सैयाद है (तीस्ता के पीछे बड़ी सरकारी ताकत) आज़ादी कहाँ हैं, ये प्रश्न जहां है! (हज़ारों जनसंघर्ष में‌ लगे कार्यकर्ता) बड़े आज़ाद हैं हुक्मरान सारे, ख़ासी मनमर्ज़ी शौक हैं उनके! (हमारे राजनेता) बड़ी मजबूरी है सबको आज़ाद दिखने की, और ये ड़र कि कहीं ज़ादा आज़ाद न दिखें! ( हम में से कई जो सरकारी / बदमाशी ताकत के सामने भीगी बिल्ली , रिश्वत देते वक्त मजबुर और बाद में गप करते वक्त गुस्सैल और देश भक्ति का नाम लिया तो ५६इंच सीने वाले बन जाते हैं)