जो आज़ाद हैं, बेशर्म, बेबाक हैं, आपके गरेबाँ पर उनके हाथ है!! आज़ादी उड़ती नज़र आती है हाथों से, डोर कहां है ज़रा गौर कीजे हालातों पर! आज़ादी के इस मुल्क में कैसे नसीब हैं, अपने हैं सियासी सारे जो इस के रकीब हैं! किसी को मन की बात है, किसी को घूँसा लात है, एक आज़ादी है जो नाले से गैस बनाती है, राफेल का दाम बढ़ाती है, गुंडों को भक्त कहलवाती है, गौरक्षक से बंब बनवाती है, एक आज़ादी जिसके गले पर कसा हाथ है, क्या मर्ज़ी, क्या मजाल है, रोहित के गले मे फंदा है, बालिका ग्रह में बाप नंगा है, उमर बंदूक के निशाने है, नफ़रत को देशभक्त बहाने हैं! आप भी कहिए मन में क्या बात है, आज़ादी एक दिन है या हालात हैं? आपको अपने विरोधी इंसान लगते हैं? क्या सवाल पूछना देशद्रोह है? राष्ट्रवाद क्यों शातिर गिरोह है?
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।