सच्चाई इश्क़ है, इंतज़ार है, दूर देखिये ज़रा इकरार है! सच्चाई यकीं नहीं है, न जाती जमीं है, कभी मर्ज़ी है किसी क़ि, कभी इत्तफ़ाक़ हसीं है! सच्चाई तस्वीर नहीं है, न ही ज़ंजीर है, कभी शम्स उफ़क़ पर, कभी दिल में शमशीर है! हर लम्हा एक बयां हैं, हर सुबह एक दास्ताँ, सब कुछ यहीं है, बीच जमीं और आसमाँ!! सच्चाई 'कुछ' नहीं है, और 'कुछ नहीं' भी, कुछ 'हाँ' भी है, बहुत, ओ' कुछ 'नहीं' भी है!! सच्चाई ज़ाहिर है, हर सुबह की तरह, और हर सुबह अलग होती है, आप क्यों एक ही बात पर अड़े हैं, हर जिद्द के नीचे मुर्दे गड़े होते हैं! हर हक़ीकत हरदम सच नहीं होती, हर झूठ हक़ीक़ी न हो यूँ भी नहीं, सब ने अपनी-अपनी गठरी बाँधी है, कहने से साबित कुछ नहीं!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।