कैसे हम भुला दिये कश्मीर की पुकार!? वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!! दिल्ली वाले सोचते हैं ये आखिरी प्रहार वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!! in क्या इरादा मुल्क जो करता है ज़ुल्म बार बार! वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!! दिन नहीं गिनते पर उस दिन का इंतजार, वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!! परेशां है अम्मी, मुस्कराते बच्चों को देती पुकार, वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!! वर्दी की मनमरजी है, जमहूरियत तार-तार वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!! बोलने पर बंदिशें और सुनने को नहीं तैयार वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!! देख हाल हमारा हंसते है, आप हैं बीमार वन्द (च)साल: शीन गाल: बी ए बहार!!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।